उधार पर चल रहा है डीडीसीए, खिलाड़ियों को ट्रेन टिकट तक नहीं दे पाने की नौबत
कुल मिलाकर अब डीडीसीए के कर्ताधर्ता बीसीसीआइ की तरफ धन के लिए निहार रहे हैं।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) का खजाना खाली हो गया है। उसके पास न ही खिलाडि़यों को मैच खेलने के लिए जाने के लिए हवाई टिकट देने का पैसा है और न ही अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने की कूव्वत। कुल मिलाकर अब डीडीसीए के कर्ताधर्ता बीसीसीआइ की तरफ धन के लिए निहार रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि जो लोढ़ा समिति की सिफारिशें लागू करेगा उसी राज्य संघ को बीसीसीआइ की तरफ से धन मिलेगा। शुरुआत में डीडीसीए ने इन सिफारिशों को नहीं माना था, लेकिन वर्ष की शुरुआत में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद डीडीसीए ने एक अवैध बैठक करके किसी तरह सिफारिशों को मानने का प्रस्ताव पास किया और उसे बोर्ड को भेज दिया। हालांकि इसके बावजूद उसे अभी तक बीसीसीआइ से एक चवन्नी नहीं मिली है। यही कारण है डीडीसीए के कर्मचारियों को दो माह से वेतन नहीं मिल पाया है। यही नहीं डीडीसीए का काम पुराने वेंडर्स से मिल रहे उधार के सामान से चल रहा है। हालत यह है कि अमृतसर में खेलने जाने के लिए संघ की तरफ से दिल्ली की टीम को समय पर हवाई तो छोडि़ए ट्रेन टिकट भी मुहैया नहीं कराए जा सके।
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हालांकि डीडीसीए से जुड़े सिद्धार्थ वर्मा ने धन की कमी होने की बात तो मानी, लेकिन उन्होंने कहा कि खिलाडि़यों को कोहरे के कारण वोल्वो से बस से भेजा गया। उन्होंने कहा कि यह सच है कि हमारे पास धन नहीं है। हमने लोढ़ा समिति की सिफारिशें मान ली हैं। हमने पूर्व पर्यवेक्षक जस्टिस मुकुल मुद्गल से इस बारे में कहा था तो उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त नए पर्यवेक्षक विक्रमादित्य सेन ही इस बारे में कुछ करेंगे। सेन के पदभार संभालने के बाद ही इस मामले को देखा जाएगा। बीसीसीआइ में भी प्रशासकों की नियुक्ति अभी हाल ही में हुई है इसलिए उनको भी चीजों को समझने में समय लगेगा। उन्होंने साथ ही कहा कि दिल्ली को जल्द ही घरेलू वनडे के 21 ग्रुप मैच के अलावा सात नॉकआउट मैच आयोजित करने हैं। उसके लिए भी धन की दरकार होगी।