डीडीसीए में कुछ नहीं है ठीक, अब आपस में ही हो रहा अधिकारियों का टकराव !
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने के मामले में डीडीसीए के पूर्व संयुक्त सचिव दिनेश शर्मा अपने ही संघ के पूर्व कोषाध्यक्ष समेत नौ निदेशकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू नहीं करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के पर अवमानना का मामला चलाने का आदेश दिया था। अब सर्वोच्च अदालत के आदेश का उल्लंघन करने के मामले में दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के पूर्व संयुक्त सचिव दिनेश शर्मा अपने ही संघ के पूर्व कोषाध्यक्ष समेत नौ निदेशकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं।
इस महीने की शुरुआत में आए फैसले के बाद 14 जनवरी को डीडीसीए के कोषाध्यक्ष रवींद्र मनचंदा ने बैठक की और उसमें उनके समेत डीडीसीए के नौ निदेशकों ने अंतरिम समिति बनाने के लिए प्रस्ताव भी पास किया। हालांकि लोढ़ा समिति के सचिव गोपाल शंकरनारायण ने 13 जनवरी को ही डीडीसीए और उसके पदाधिकारियों को ईमेल करके बताया था कि डीडीसीए के कोषाध्यक्ष और संयुक्त सचिव का पद पदाधिकारियों की श्रेणी में आएगा।
वहीं, डीडीसीए के वकील गौतम दत्ता का कहना है कि डीडीसीए के संविधान के तहत संघ की कार्यकारिणी में शामिल सभी 24 निदेशक पदाधिकारी की श्रेणी में आते हैं और ये सभी पिछले साल दिसंबर में अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। इसमें से कई नौ साल का कुल कार्यकाल भी पूरा कर चुके हैं। इन सभी पर कूलिंग ऑफ पीरियड का आदेश पिछले साल 30 दिसंबर से ही लागू हो जाता है।
वहीं, याचिकाकर्ता दिनेश शर्मा ने कहा कि मैंने पहले भी उस बैठक को अवैध ठहराया था। अब मैं इन नौ लोगों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गया हूं। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने इस याचिका को बीसीसीआइ के मामले के साथ सुनवाई करने की मंजूरी दे दी है। इसमें डीडीसीए को बीसीसीआइ मामले में पार्टी बनाने की अर्जी भी शामिल है। हमने याचिका में कहा है कि जिन नौ निदेशकों ने बैठक की उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के अलावा 18 जुलाई, 2016 के आदेश की अवमानना भी की है।
खास बात ये है कि लोढ़ा समिति ने 12 जनवरी को अपनी वेबसाइट पर बीसीसीआइ और राय संघों के अधिकतर प्रश्नों के उत्तर दे दिए थे जिसमें साफ कहा गया था कि किसी भी पदाधिकारी का तीन साल पूरा होने के साथ ही उसे कूलिंग ऑफ पीरियड में जाना होगा। इसके बावजूद कोषाध्यक्ष ने किस हैसियत से 24 में से 14 निदेशकों को योग्य मानते हुए बैठक में बुलाया और नई समिति बनाने के प्रस्ताव पर नौ निदेशकों ने हस्ताक्षर भी कर दिए।
दिनेश शर्मा ने कहा कि मैंने इस बारे में पूर्व न्यायाधीश आरएम लोढ़ा को भी सूचित कर दिया है। ऐसा तब हुआ जब पूर्व न्यायाधीश मुकुल मुद्गल डीडीसीए के पर्यवेक्षक हैं। हालांकि मुद्गल पहले ही कह चुके हैं कि वह इस मामले को नहीं देख रहे हैं।
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मालूम हो कि मनचंदा ने डीडीसीए के 24 में से 14 निदेशकों और तीन सरकारी निदेशकों को योग्य बताते हुए बैठक में बुलाया गया था, जिसमें सरकार द्वारा नामित निदेशक व सांसद प्रवेश वर्मा नहीं आए थे। 16 निदेशकों में से नौ ने नई समिति बनाने के प्रस्ताव पर दस्तखत भी किए थे।
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इसमें मनचंदा के अलावा संयुक्त सचिव सुभाष शर्मा, संयुक्त सचिव विवेक गुप्ता, संयुक्त सचिव सलिल सेठ, सिद्धार्थ साहिब सिंह वर्मा, अशोक शर्मा, अजय शर्मा, विनोद गर्ग और विकास कत्याल शामिल थे। दो अन्य सरकारी निदेशक सुनील यादव और राजन तिवारी के अलावा दिनेश शर्मा, संयुक्त सचिव दिनेश सैनी, क्लब सचिव सुनील जैन, संयुक्त सचिव रवि जैन और हर्ष शर्मा ने इस बैठक को अवैध करार दिया था।