भारत के सम्मान के साथ क्रिकेट चलता रहे: खन्ना
सबको साथ में लेकर चलने में माहिर खन्ना पर इस समय सबकी निगाह है।
नई दिल्ली। बीसीसीआइ और आइसीसी के बीच चल रही रार के बीच भारतीय बोर्ड के कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना ने बीच का रास्ता निकालने के संकेत दिए हैं। सबको साथ में लेकर चलने में माहिर खन्ना पर इस समय सबकी निगाह है, क्योंकि चैंपियंस ट्रॉफी में भारत का रुख बहुत कुछ उन पर निर्भर करेगा। सात मई को होने वाली बोर्ड की विशेष आम सभा (एसजीएम) और अन्य मुद्दों पर खन्ना ने अभिषेक त्रिपाठी से बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश..
बीसीसीआइ और आइसीसी की लड़ाई कहां तक जाएगी? इस पर आप का क्या रुख है?
-मुझे नहीं लगता कि इसमें निजी राय का कोई महत्व है। एसजीएम बेहद महत्वपूर्ण होने वाली है। सभी सदस्यों से बातचीत चल रही है। मुझे उम्मीद है कि इसमें सर्वसम्मति से ऐसा फैसला होगा कि जिससे क्रिकेट भी चलता रहे और बीसीसीआइ के लोगों को यह भी महसूस न हो कि उसका हक छीना जा रहा है। बीसीसीआइ का सम्मान किसी भी कीमत पर कम नहीं होना चाहिए।
कुछ बीसीसीआइ पदाधिकारी इसे राजस्व नहीं, बल्कि बीसीसीआइ की आजादी की लड़ाई बता रहे हैं?
-देखिए, सब लोगों की अलग-अलग सोच होती है, लेकिन मुझे लगता है कि सब बीसीसीआइ का भला चाहते हैं। यह सही है कि आइसीसी के साथ सिर्फ राजस्व का मसला नहीं है, प्रशासन भी एक अहम पहलू है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि भारत दबा है या उसे दबाया गया है। आइसीसी को सबसे ज्यादा धन और प्रायोजक भारत से मिलते हैं। बीसीसीआइ को राजस्व के चैंपियन के साथ चैंपियंस ट्रॉफी का भी चैंपियन बनना चाहिए।
लेकिन आप सबको एकजुट कैसे करेंगे क्योंकि सभी की राय बंटी हुई है?
-हम चाहेंगे कि ऐसा कोई मध्य मार्ग निकले जिससे किसी का नुकसान नहीं हो। सबकी राय महत्वपूर्ण है। जहां तक लोगों के अलग-अलग मत की बात है तो ये सब सुनने में आ रहा है, लेकिन अभी तक किसी ने आधिकारिक तौर पर अपनी बात सामने नहीं रखी है। छह तारीख को अधिकतर लोग दिल्ली में इकठ्ठे हो रहे हैं। प्रशासकों की समिति (सीओए) भी लोगों से मिल रही है। पांच मई को सीओए उत्तर और पूर्व जोन के पदाधिकारियों से बातचीत करेंगे, जबकि छह को पश्चिम, दक्षिण और मध्य जोन के पदाधिकारी मिलेंगे। मुझे लगता है कि सात को क्रिकेट और बीसीसीआइ दोनों की जीत होगी।
सीओए के प्रमुख विनोद राय और सदस्य रामचंद्र गुहा के बयान तो चैंपियंस ट्रॉफी खेलने के पक्ष में आ रहे हैं?
- उन पर मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। सात तारीख को कोई सकारात्मक फैसला हो सकता है।
जिस आइसीसी ने भारत का राजस्व 57.90 करोड़ की जगह 29 करोड़ डॉलर कर दिया, क्या उससे कोई उम्मीद की जा सकती है?
- उन्होंने हमारे आठ साल के राजस्व में कटौती की है। एसजीएम में इसी पर चर्चा होनी है। अभी उनसे कोई बात नहीं हुई है। हम पहले अपनी बैठक में तय करेंगे कि क्या करना है। उसके बाद आगे के कदम उठाए जाएंगे।