बीसीसीआइ सदस्यों के कार, गहने, सोने के सिक्के लेने की खुलेगी पोल?
बीसीसीआई को यह चिंता सता रही है कि लोढ़ा समिति अब राज्य एसोसिएशनों के संचालन से संबंधित डेलॉइट ऑडिट रिपोर्ट की मांग नहीं करें।
मुंबई। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के चलते पहले से दबाव में चल रही बीसीसीआइ को यह चिंता सता रही है कि लोढ़ा समिति अब राज्य एसोसिएशनों के संचालन से संबंधित डेलॉइट ऑडिट रिपोर्ट की मांग नहीं करें। यदि लोढ़ा समिति ने यह रिपोर्ट मांगी तो विवादों का पिटारा खुल जाएगा।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार यदि लोढ़ा समिति ने इस रिपोर्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा तो पूरी संभावना है कि विभिन्न राज्य संगठनों में चल रहे घोटालों की जांच के लिए एक नई जांच समिति गठित की जाएगी। 31 मार्च 2015 तक की समयावधि के लिए की गई यह रिपोर्ट अभी बीसीसीआइ के कानूनी सलाहकार अमरचंद मंगलदास के पास सुरक्षित है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गोवा, हैदराबाद, केरल, असम और ओडिशा सबसे पहले जांच के दायरे में आएंगे। गोवा एसोसिएशन में 18 कारें खरीदी गई थी जिनका उपयोग मैनेजिंग कमेटी के लोग अपने निजी काम के लिए कर रहे थे। इन कारों को पेट्रोल तथा रखरखाव का बिल भी एसोसिएशन द्वारा वहन किया जा रहा था। यह काम महीनों तक जारी रहा।
हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के मैनेजिंग कमेटी के सदस्यों को एक टेंडर प्रक्रिया के दौरान गोल्ड कॉइन तथा उनकी पत्नियों को गोल्ड ज्वैलरी प्रदान की गई। इसके दस्तावेजी प्रमाण मौजूद हैं। इसके अलावा करोड़ों रुपए के लोन प्रदान किए गए, जिनका कोई हिसाब नहीं हैं।
केरल क्रिकेट एसोसिएशन ने बगैर किसी प्रक्रिया के लैंड बैंक बनाया और टेंडर की प्रक्रिया के बगैर कई प्रायवेट कंपनियों के साथ अनुबंध किया। इन्होंने 30 करोड़ रुपए की ऐसी जमीन भी खरीदी जिसका नियमों के तहत क्रिकेट के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है। इस तरह से यह पैसा पूरी तरह बर्बाद हो गया है।
ओडिशा, जम्मू कश्मीर और असम भी जांच के दायरे में आएंगे। ओडिशा में हाल के दिनों तक अकाउंट्स हाथों से लिखे जाते रहे हैं। इस बात पर यकीन करना मुश्किल होगा। बीसीसीआई ने पिछले कुछ वर्षों में असम को लोन के रूप में 60 करोड़ रुपए दिए और इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है कि यह लोन कैसे चुकाया जाएगा। इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि यह लोन क्यों दिया गया, इस पैसे का क्या हुआ और यह कैसे वापस किया जाएगा।
बीसीसीआई एक तरफ तो पारदर्शिता की बात करता है और अपनी वेबसाइट पर 50 लाख रुपए से ज्यादा के सभी लेनदेन को दिखाने का दावा करता है, वहीं इस रिपोर्ट का कोई उल्लेख नहीं है। यदि यह रिपोर्ट सार्वजनिक की गई तो बोर्ड के अंदर चल रही कई अवैधानिक हरकतों का सभी को पता चलेगा।