बिग थ्री पर आइसीसी से जंग लड़ने में बीसीसीआइ में होंगे दो फाड़?
बीसीसीआइ अधिकारियों का कहना है कि आइसीसी नहीं माना तो हम जून में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी से हटने से भी नहीं चूकेंगे।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। चेयरमैन शशांक मनोहर की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) के सामने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) आजादी की लड़ाई लड़ने का मन बना चुका है। बोर्ड के पदाधिकारियों ने तय कर लिया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) से उसे समर्थन मिले या नहीं वे वही करेंगे जो मंगलवार को विशेष आम सभा (एसजीएम) में तय हुआ है।
बोर्ड के एक पदाधिकारी ने कहा कि शुक्रवार को सीओए ने कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना, कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी और कोषाध्यक्ष को 27 और 28 अप्रैल को दुबई में होने वाली आइसीसी बोर्ड की बैठक में भारत के पक्ष को लेकर मुंबई में एक बैठक बुलाई है। इसमें अमिताभ का जाना तो तय है, जबकि अनिरुद्ध किसी निजी काम की वजह से बैठक में भाग नहीं ले पाएंगे। सीके खन्ना भी बैठक में भाग ले सकते हैं।
सीओए चाहता है कि भारत बिग थ्री (भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को आइसीसी से ज्यादा राजस्व) पर न अड़े और कोई बीच का रास्ता निकाले। वहीं, बोर्ड के पदाधिकारियों का कहना है कि आइसीसी से वर्तमान मॉडल को बनाए रखने से इतर कुछ नहीं चलेगा। बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि सीओए ने हमें किस देश से क्या बात हुई इससे दूर रखा। बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख भारत आए, लेकिन उनसे क्या बात हुई, इस बारे में हमें नहीं बताया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने सीईओ राहुल जौहरी के साथ अमिताभ को जाने का अधिकार दिया है। हमने एसजीएम में जो फैसला किया है उससे एक कदम इधर उधर नहीं हिलेंगे। यह बीसीसीआइ की संप्रभुता का सवाल है। शशांक मनोहर ने बेहद खराब काम किया है। उन्हें भारतीय माफ नहीं करेंगे। अधिकतर भारतीयों का मानना है कि क्रिकेट हमारे पैसों से चल रहा है और वे हमको दूध से मक्खी की तरह नहीं निकाल सकते।
सीओए के एक सदस्य ने कहा कि हम शुक्रवार को अमिताभ से पूछेंगे कि उन्होंने एसजीएम में क्या निर्णय लिए हैं और अगर हमें लगा तो उन्हें उसमें बदलाव के लिए भी कहेंगे।
चैंपियंस ट्रॉफी से हटने से भी नहीं चूकेगा बीसीसीआइ
भविष्य में इंग्लैंड का कोई प्रतिनिधि आइसीसी का चेयरमैन बन जाता है तो उसका एक वोट होगा। इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड, महिला निदेशक का वोट उसके पास होगा। आयरलैंड और अफगानिस्तान को भी ये वोटिंग अधिकार देने जा रहे हैं। इन दोनों को आइसीसी ने पांच-पांच लाख डॉलर (लगभग तीन करोड़, 23 लाख रुपये) भी दिए हैं। वेस्टइंडीज को लोन दिया है। ये वोट भी इंग्लैंड को चले जाएंगे। भारत का क्या महत्व आइसीसी में रहेगा। पाक के साथ हम टूर्नामेंट नहीं खेले ऐसे में वह हमारा विरोध करेगा। हम कमजोर हो जाएंगे।बोर्ड के पदाधिकारी ने कहा कि हमने बिग थ्री की जगह शशांक मनोहर के प्रस्तावित राजस्व मॉडल को मान लिया तो हमें अगले आठ सालों में करीब डेढ़ बिलियन डॉलर (लगभग 9900 करोड़ रुपये) का नुकसान होगा। यह सिर्फ पैसों का नुकसान नहीं है, बल्कि आइपीएल और टीम के ब्रांड पर भी इसका असर होगा। आइसीसी नहीं माना तो हम जून में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी से हटने से भी नहीं चूकेंगे।