एक भारतीय के दांव से बीसीसीआइ को हो सकता है 3000 करोड़ रुपए का घाटा
बीसीसीआइ को आइसीसी के एक प्रस्ताव से आने वाले सालों में बड़ा नुकसान हो सकता है।
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बीसीसीआइ का दबदबा किसी से छिपा नहीं है, लेकिन अब इसे चुनौती मिलती दिख रही है और यह चुनौती देने का काम एक भारतीय ने ही किया है। वह भारतीय हैं आइसीसी के मौजूदा अध्यक्ष शशांक मनोहर।
बीसीसीआइ की अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में सबसे ऊंची हैसियत होने की वजह उसकी आर्थिक स्थिति भी रही है,लेकिन अब शायद इसमें कमी आ सकती है। दुबई में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की होने वाली बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया जा सकता है जिसके बाद 2015-2023 के दौरान बीसीसीआइ को 900 करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है।
इसका सीधा कारण आइसीसी की रेवैन्यू डिस्ट्रिब्यूशन नीति में बदलाव है जिसके तहत आइसीसी के पूर्णकालिक सदस्यों में पैसे का बंटवारा होता है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक आइसीसी को 2015-2023 के बीच करीब 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई होगी। इसमें से बीसीसीआइ को करीब 507 मिलियन डॉलर (करीब 3400 डॉलर) मिलने की उम्मीद है। हालांकि शशांक मनोहर का फैसला बिग थ्री- भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की हिस्सेदारी को 21.9 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी करने का है। इससे भारतीय बोर्ड को करीब-करीब 900 करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है।
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इसके अगले आठ सालों यानी 2023-2031 में बीसीसीआइ का घाटा बढ़कर 2000 करोड़ तक जा सकता है। यानी अगले 14 सालों (2017 से 2031 तक) में भारत का घाटा करीब 3000 करोड़ रुपये का हो सकता है। हालांकि, अभी इस दिशा में कयास ही लगाए जा रहे हैं। अगर आइसीसी या शशांक मनोहर इस तरह का फैसला लेते हैं तो देखना होगा कि बीसीसीआइ इसके जवाब में क्या कदम उठाता है। शशांक पर पहले ही भारतीय बोर्ड की अनदेखी करने का आरोप लगता रहा है। वैसे बीसीसीआइ के प्रशासन में इन दिनों लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने को लेकर उठापटक जारी है।