EXCLUSIVE: अपने ही मनोहर से परेशान बीसीसीआइ
बीसीसीआइ अपने ही पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) के चेयरमैन शशांक मनोहर से परेशान है।
अभिषेक त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) अपने ही पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) के चेयरमैन शशांक मनोहर से परेशान है। लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के दबाव से जूझ रहे बीसीसीआइ को आइसीसी और उसके चेयरमैन से कोई मदद नहीं मिल रही है।
बीसीसीआइ चाहता था कि जिस तरह अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ (आइओसी) स्पोर्ट्स कोड लागू करने के दौरान भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) के साथ खड़ा हुआ था, उसी तरह आइसीसी इस मामले में दखल दे। बोर्ड ये भी चाहता था कि आइसीसी इसको लेकर बीसीसीआइ को एक पत्र भी लिखे, लेकिन आइसीसी ने उसकी बात तक नहीं सुनी। खास बात ये है कि मनोहर खुद बीसीसीआइ अध्यक्ष रहे हैं और इसी के जरिये आइसीसी के मुखिया बने थे, लेकिन उन्होंने तो इस मामले से मुंह ही मोड़ रखा है।
सोमवार को राजधानी में हुई बीसीसीआइ की कार्यकारी समिति की बैठक में बोर्ड के कुछ पदाधिकारियों ने ये बात बीसीसीआइ अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के सामने रखी थी। कई पदाधिकारी चाहते थे कि आइसीसी इस मामले में दखल दे और बोर्ड को पत्र लिखकर कहे कि वह सिर्फ आइसीसी का संविधान पालन करने के लिए बाध्य है। जब आइओए में भारत सरकार के स्पोर्ट्स कोड को लागू करने की बात आई थी तो आइओसी ने इसी तरह का पत्र लिखा था और उसी पत्र का हवाला देते हुए आइओए अभी तक यही कहता है कि हम आइओसी के संविधान के हिसाब से चलते हैं। हमारे ऊपर इसके अलावा कोई नियम लागू नहीं होता। यही नहीं अगर हम पर कोई और नियम थोपे गए तो आइओसी भारत पर प्रतिबंध लगा देगा। इसी तरह अगर आइसीसी भी पत्र लिखकर कहता कि बीसीसीआइ आइसीसी या अपने संविधान को छोड़कर कुछ और नियमों के जरिये चलता है तो उस पर भी प्रतिबंध लग सकता है। इस पत्र के जरिये बीसीसीआइ अपना बचाव कर सकता था।
सूत्रों के मुताबिक अनुराग ने सोमवार को बोर्ड के पदाधिकारियों के सवाल पर साफ-साफ कहा कि इस मामले में बीसीसीआइ को आइसीसी और मनोहर से कोई मदद नहीं मिल रही है। मालूम हो कि इसी बैठक में बोर्ड ने लोढ़ा समिति से पूछे बिना 21 सितंबर को अपनी वार्षिक आम बैठक (एजीएम) घोषित कर दी। यही नहीं उसने घरेलू क्रिकेट कार्यक्रम को भी मंजूरी दे दी है, जबकि समिति चाहती है कि सभी राज्यों को सदस्य और नई टीमें बनाकर इसी घरेलू सत्र से उन्हें खिलाया जाए। हालांकि बोर्ड ने पूर्वोत्तर के सात राज्यों की एक संयुक्त डेवलेपमेंटल टीम बनाकर इस सत्र से रणजी में खिलाने का निर्णय लिया है।