कप्तान के तौर पर रहाणे का अच्छा नहीं है रिकॉर्ड, जिम्बाब्वे दौरा होगी बड़ी चुनौती
जिम्बाब्वे दौरे के लिये भारतीय टीम के कप्तान चुने गए आजिंक्य रहाणे भले ही बेहतरीन बल्लेबाज हों, लेकिन उन्हें कप्तानी का अनुभव बहुत कम है। उन्होंने सीनियर स्तर पर केवल दो मैचों में कमान संभाली है। अब उन्हें जिम्बाब्वे में होने वाले तीन वनडे और दो टी-20 मैचों की सीरीज के
नई दिल्ली। जिम्बाब्वे दौरे के लिये भारतीय टीम के कप्तान चुने गए आजिंक्य रहाणे भले ही बेहतरीन बल्लेबाज हों, लेकिन उन्हें कप्तानी का अनुभव बहुत कम है। उन्होंने सीनियर स्तर पर केवल दो मैचों में कमान संभाली है।
अब उन्हें जिम्बाब्वे में होने वाले तीन वनडे और दो टी-20 मैचों की सीरीज के लिए भारत का नेतृृत्व सौंपा गया है। वे भारत के लिए 15 टेस्ट, 55 वनडे और 11 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं। मगर सीनियर स्तर पर 8 साल के करियर में कुल 300 से अधिक मैच खेलने के बावजूद केवल दो मैचों में किसी टीम की अगुवाई की है और दोनों मैचों में उनकी टीम हारी है।
बतौर कप्तान रहाणे का अनुभव
पहला मैच : 13 मार्च 2010 को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी (टी-20) के क्वार्टर फाइनल में हैदराबाद के खिलाफ मुंबई का नेतृृत्व किया। इंदौर के होलकर स्टेडियम में खेले गये इस मैच में रहाणे ने केवल तीन रन बनाए और मुंबई को 7 विकेट से हार मिली।
दूसरा मैच : 26 फरवरी 2012 को महाराष्ट्र के खिलाफ विजय हजारे ट्रॉफी (वनडे) मैच में मुंबई की अगुवाई करने का मौका मिला था। रहाणे का बल्ला फिर नहीं चला और सिर्फ 13 रन बना सके। महाराष्ट्र ने यह मैच 15 रन से जीता था।
जूनियर टीमों के साथ रहे सफल
हालांकि रहाणे ने मुंबई अंडर-17 टीम की 6 मैचों में कमान संभाली और 3 में टीम जीती जबकि तीन मैच ड्रा रहे। मुंबई अंडर-19 टीम का नेतृृत्व 14 मैचों में किया। इनमें से 7 में मुंबई जीती, एक मैच हारी जबकि 6 मैच ड्रॉ रहे। इस तरह से रहाणे ने जूनियर स्तर पर जिन 20 मैचों में कप्तानी की उनमें से सिर्फ एक मैच हारे।