भारत की हार ने तोड़ा 28 साल पुराना रिकॉर्ड
किस्मत के धनी कहलाने वाले भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी को जब इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, तभी भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया। सिडनी के विकेट पर सिक्के की उछाल सबसे अहम थी, लेकिन उसमें भाग्य ऑस्ट्रेलियाई कप्तान के साथ रहा।
सिडनी। किस्मत के धनी कहलाने वाले भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी को जब इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, तभी भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया। सिडनी के विकेट पर सिक्के की उछाल सबसे अहम थी, लेकिन उसमें भाग्य ऑस्ट्रेलियाई कप्तान के साथ रहा। अब तक किसी भी आईसीसी टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में नहीं हारने वाले धौनी सिडनी में यह रिकॉर्ड भी गंवा बैठे।
ऑस्ट्रेलिया के भारत को 95 रनों से हराते हुए विश्व कप के फाइनल में प्रवेश किया, जहां 29 मार्च को उसकी टक्कर सहमेजबान न्यूजीलैंड से होगी। वर्ष 1987 के बाद यह पहला मौका होगा जब विश्व कप के फाइनल में कोई भी एशियाई टीम नहीं होगी। इससे पहले ऐसा सिर्फ 1975, 1979 और 1987 के विश्वकप में हुआ है। --सूरज उगने के समय भारत विश्व चैंपियन था, लेकिन शाम होते ही वह पूर्व चैंपियन हो गया।
-ऑस्ट्रेलिया ने आखिरी बार विश्व कप 2007 में जीता था। वर्तमान टीम में माइकल क्लार्क और शेन वॉटसन ही उस टीम में शामिल थे।
-2001 और 2008 में भारत ने दो बार ऑस्ट्रेलिया के लगातार 16 टेस्ट जीतने के क्रम को रोका था। आज ऑस्ट्रेलिया ने भारत की लगातार 11 विश्व कप जीत के क्रम को रोक हिसाब चुका दिया।
भारत की हार के कारण
-सिक्के की उछाल अहम थी, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया।
-भारतीय तेज गेंदबाज खासे महंगे साबित हुए, खासकर अंतिम ओवरों में।
-बल्लेबाजों पर अतिआत्मविश्वास था, जरूरत के समय वे नहीं चले।
-सेमीफाइनल तक के सफर में भारत मुश्किलों से नहीं गुजरा था, इससे टीम की परीक्षा नहीं हुई थी। यहां जब मुश्किल आई तो टीम ल़़डख़़डा गई।
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