अपनी छाप छोड़ने को बेताब होंगे युवा खिलाड़ी
भारत के कुछ युवा खिलाड़ी जिंबाब्वे में शुरू हो रही वनडे और टी-20 सीरीज के जरिये अपनी छाप छोड़ने को बेताब होंगे। हां, यह भी एक सच्चाई है कि सीनियर टीम में फिलहाल ज्यादा जगह खाली नहीं है। लेकिन जिंबाव्वे में उनके आकर्षक प्रदर्शन से यह जरूर तय हो जाएगा
(सुनील गावस्कर का कॉलम)
भारत के कुछ युवा खिलाड़ी जिंबाब्वे में शुरू हो रही वनडे और टी-20 सीरीज के जरिये अपनी छाप छोड़ने को बेताब होंगे। हां, यह भी एक सच्चाई है कि सीनियर टीम में फिलहाल ज्यादा जगह खाली नहीं है। लेकिन जिंबाव्वे में उनके आकर्षक प्रदर्शन से यह जरूर तय हो जाएगा कि सीनियर टीम में बैठे खिलाड़ी अपनी जगह को पक्का मान कर नहीं चल सकेंगे।
चयनकर्ताओं की प्रशंसा करनी होगी कि टीम चयन के वक्त वह ग्लैमर से भरपूर इंडियन प्रीमियर लीग में किए गए खिलाडि़यों के प्रदर्शन से प्रभावित नहीं हुए। उन्होंने चयन के लिए पूरे सत्र को आधार बनाया। चयनकर्ताओं का यह फैसला कुछ खिलाडि़यों के लिए फायदेमंद रहा। खासकर मीडियम पेसर्स के लिए, जो आइपीएल में खास नहीं कर सके और बैट्समैन के निशाने पर रहे। पूरे सत्र के प्रदर्शन को चयन का आधार बनाकर चयनकर्ताओं ने यह सकारात्मक संदेश भेजा है कि अन्य घरेलू टूर्नामेंट भी बहुत महत्व रखते हैं।
अब यह युवा खिलाडि़यों पर निर्भर करता है कि वे इस मौके का ज्यादा से ज्यादा कैसे फायदा उठाकर सीनियर टीम के लिए दावा ठोकते हैं। आगे टीम इंडिया को घरेलू सत्र में 13 टेस्ट मैच और लगभग इतने ही वनडे और टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने हैं। ऐसे में इन युवाओं के पास टीम इंडिया की असली ब्लू जर्सी पर अपना दावा ठोकने का अच्छा मौका है। इन युवाओं को हरारे में भी टीम इंडिया की ब्लू जर्सी पहनने का मौका मिलेगा, लेकिन सच्चाई वे भी जानते हैं कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि कई सीनियर को आराम दिया गया है।
जिंबाब्वे की टीम नए कप्तान की अगुआई में खेलेगी। लेकिन तथ्य यह है कि घरेलू माहौल में उन्हें हराना आसान नहीं होगा। जिंबाब्वे की टीम भी खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर का साबित करने को बेताब होगी। भारतीय युवाओं को इस बात का जरूर फायदा मिलेगा कि वे अनुभवी कप्तान एमएस धौनी की अगुआई में मैदान पर उतरेंगे। यदि वे दबाव में भी शांत रहने की धौनी की खूबी से कुछ सीखने की कोशिश करते हैं तो यह भारतीय क्रिकेट के भविष्य के लिए भी बेहतर होगा।
(पीएमजी)