आइपीएल 10 युवा प्रतिभाओं के नाम रहा : शास्त्री
आइपीएल 10 साफ तौर पर युवा प्रतिभाओं के नाम रहा।
(शास्त्री का कॉलम)
पिछले कुछ सप्ताह में अनवरत यात्रा, होटलों में आते और जाते समय जांच, शक्तिहीन कर देने वाली गर्मी और स्टेडियम के दरवाजे के बाहर मौजूद समुद्र के जरिये होने वाली उमस ने मुझे निचोड़कर रख दिया है। मेरे लिए यह आइपीएल युवा प्रतिभाओं की गाथा रहा है। फाइनल एक प्रवृत्ति है जो नियम का चलन है। कई युवा इसके जरिये सुनहरी राह पर चल चले हैं और बेशक कई औरों के साथ भविष्य में भी ऐसा ही होगा।
यह साल इस प्रतियोगिता की अपने आप में सबसे बड़ी कहानी दो अफगानियों की मौजूदगी रही। चार दशकों से युद्धग्रस्त राष्ट्र अब गोलियों और बमों के बीच वैश्विक नायकों का निर्माण कर रहा है। राशिद और नबी ने अपने देशवासियों की एक पीढ़ी को बंधनमुक्त कर दिया है। यह सब अब एक दुखी देश को बदल सकता है और रूढि़वादी चीजों को तोड़ सकता है।
एक सलामी बल्लेबाज के रूप में सुनील नरेन मेरी सोच से बहुत आगे निकल गए हैं। यह अभी भी विश्वास से परे है। उन्होंने फ्रंट फुट पर आकर और सीधे बल्ले से खेलते हुए गेंदों को बाउंड्री के बाहर पहुंचाकर कई गेंदबाजों के आंकड़े खराब कर दिए। खूबसूरती यह है कि किसी अन्य टीम ने इस प्रयोग के बारे में नहीं सोचा। हालांकि, कुछ नाम ऐसे हैं जिनके बल्ले से चमकने पर उन्हें प्यार से देखा जा सकता है।
शुद्ध रूप से हाशिम अमला और केन विलियमसन चमकते सितारे थे। उन्होंने अपने नाम के अनुकूल रन बनाए। स्टीव स्मिथ की मैदान पर मौजूदगी ने भी कई मैचों के नतीजे बदल दिए। क्रिस गेल और एबी डिविलियर्स अपनी छवि के अुनसार न्याय नहीं कर सके। महेंद्र सिंह धौनी और विराट कोहली जैसे खिलाड़ी उतने प्रेरक साबित नहीं हुए जितने कि वे हैं। युवराज सिंह ने अपने आलोचकों की बोलती बंद कर रखी थी। लंबे सत्र के दौरान अन्य भारतीय खिलाडिय़ों में कई मैचों में अपने कंधों पर जिम्मेदारी उठाई। सात सप्ताह की शानदार स्पर्धा ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आइपीएल क्यों दुनिया की सबसे बड़ी खेल लीग है। उम्मीद करता हूं कि आइपीएल वर्षों तक ऐसे ही चलता रहेगा।