इरफान को नहीं खिलाने का फैसला समझ से परे
राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स को पता है कि अब वे सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकते, इसलिए अब वे दूसरी टीमों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं।
(गावस्कर का कॉलम)
राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स को पता है कि अब वे सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकते, इसलिए अब वे दूसरी टीमों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें अलग ऊर्जा और सोच के साथ मैदान में उतरना होगा। यह सच है कि उनके कई खिलाड़ी चोटिल हुए हैं। इस वजह से उनके चार विदेशी खिलाड़ी बाहर हो गए। लेकिन टीम में वो जोश नहीं दिखा जो आमतौर पर महेंद्र सिंह धौनी के नेतृत्व में दिखता है। कप्तान खुद भी बड़े शॉट नहीं लगा पाए। अहम मौकों पर उनके बल्लेबाजी क्रम में ऊपर नहीं आने का खामियाजा भी टीम को उठाना पड़ा। इन मैचों को उन्हें जीतना चाहिए था।
दूर से समझना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन टीम में मौजूद विश्व स्तरीय गेंदबाज के साथ उनका व्यवहार कई सवाल खड़े करता है। पिछले साल इरफान पठान जब चेन्नई टीम में थे, तब भी उन्हें मुश्किल से ही मौका मिला था। इस बार पुणे टीम में भी ऐसा ही हो रहा है। डुप्लेसिस, मिशेल मार्श और स्टीव स्मिथ के चोटिल होने से बल्लेबाजी भी कमजोर हुई। ऐसी स्थिति में ऑलराउंडर इरफान पठान कप्तान को अतिरिक्त विकल्प दे सकते थे। वह गेंद और बल्ले दोनों से ही मौजूदा टीम में खेल रहे कई खिलाडिय़ों से बेहतर हैं।
दिल्ली डेयरडेविल्स के पास विशाखापत्तनम की पिच पर खेलने का अनुभव है, इसलिए वे ज्यादा बेहतर ढंग से तैयार होंगे। वे जानते हैं कि अब एक और हार उनका खेल बिगाड़ सकती है। क्या पुणे अपनी प्रतिष्ठा पर खरी उतर पाएगी या फिर इस टूर्नामेंट वे निराशाजनक रूप से विदा होंगे।