खेल का स्तर उठाना होगा वेस्टइंडीज को
लंबे समय से भारतीय टीम ने विदेश दौरे पर टेस्ट जीत से शुरुआत नहीं की थी। जहां तक मुझे याद है 1986 में कपिल देव के नेतृत्व में इंग्लैंड के दौरे पर भारत ने शुरुआती दो टेस्ट जीते थे।
(गावस्कर का कॉलम)
लंबे समय से भारतीय टीम ने विदेश दौरे पर टेस्ट जीत से शुरुआत नहीं की थी। जहां तक मुझे याद है 1986 में कपिल देव के नेतृत्व में इंग्लैंड के दौरे पर भारत ने शुरुआती दो टेस्ट जीते थे। उस समय भारत के पास क्लीन स्वीप करने का मौका था, लेकिन खराब अंपायरिंग की वजह से ऐसा नहीं हो सका। उस समय तीसरे देश के अंपायर रखने का प्रावधान नहीं था। इसलिए कोई भी सुपर पॉवर इंग्लैंड के खिलाफ कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाया और उसने अपनी मर्जी से चीजों को किया। विराट कोहली के पास कैरेबियाई द्वीप पर क्लीन स्वीप करने का मौका है। अगर ऐसा होता है कि 1962 में भारत को मिली हार का गम कुछ कम हो जाएगा।
भारतीय टीम से मुकाबला करने के लिए वेस्टइंडीज टीम को अपने खेल का स्तर उठाना होगा। उनके पास कुछ अच्छे खिलाड़ी हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्हें कोई दिशा नहीं दी गई है। न ही उनके सामने कोई लक्ष्य है। दूसरी तरफ भारतीय टीम व्यक्तिगत और टीम के तौर पर काफी प्रतिबद्ध लग रही है। मेजबान टीम के मुकाबले उनमें ज्यादा धैर्य है। सही बात तो यह है कि वेस्ट इंडीज के अधिकतर योग्य खिलाड़ी कैरेबियाई प्रीमियर लीग में खेल रहे हैं। मौजूदा टीम के पास टेस्ट क्रिकेट का बहुत ज्यादा अनुभव नहीं है। कप्तान खुद काफी अनुभवहीन हैं और उनका रवैया भी रक्षात्मक है। इस वजह से वह दूसरे खिलाडिय़ों में भी सकारात्मकता नहीं भर पा रहे हैं। यह बात सही है कि हर चीज के लिए कप्तान जिम्मेदार नहीं हो सकता। व्यक्तिगत प्रेरणा भी जरूरी होती है। लेकिन जब टीम से बाहर होने का डर खत्म हो जाए और दुनिया भर में ढेर सारी टी-20 लीग खेली जा रही हों, तो अतिरिक्त प्रयास करने की भूख खत्म हो जाती है।
मौजूदा भारतीय टीम जैसा प्रदर्शन कर रही है, उससे खिलाडिय़ों को चुनना या बाहर बैठाना मुश्किल होगा। मुरली विजय शायद समय पर ठीक न हो पाएं, ऐसे में राहुल को मौका मिल सकता है। वह जैसी फॉर्म में हैं, उससे तो वेस्टइंडीज की मुसीबत और बढऩा तय है। चेतेश्वर पुजारा को इस मौके का फायदा उठाना चाहिए, क्योंकि रक्षात्मक रवैये से आने वाले बल्लेबाजों के लिए मुश्किल बढ़ रही हैं। पहले टेस्ट में अपने ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए अश्विन निश्चित तौर पर 'मैन ऑफ द मैचÓ के हकदार थे। वह सीरीज में आगे भी इस प्रदर्शन को जारी रखना चाहेंगे।
एंटिगा की तुलना में इस पिच में ज्यादा उछाल होगा, लेकिन जब तक वेस्टइंडीज के पास सही तेज गेंदबाज न हो, तो वो आक्रमण नहीं कर पाएंगे। इसके लिए युवा अलजारी जोसेफ को खिलाना चाहिए। हालांकि वह दबाव को कैसे झेलते हैं, यह देखना रोचक होगा। हालांकि यह बात पूरी टीम पर ही निर्भर करती है। (पीएमजी)