वार्नर ने किया पार्ट टाइम गेंदबाजों का बेहतर इस्तेमाल
अंक तालिका में शीर्ष पर रहने वाली गुजरात लायंस टीम के पास फाइनल में जगह बनाने के लिए एक और मौका है। इस बार उनका सामना सनराइजर्स हैदराबाद से है। कोलकाता टीम को हराकर सनराइजर्स ने मजबूत वापसी की है। जबकि लीग मुकाबलों में कोलकाता के खिलाफ सनराइजर्स ने दोनों
(सुनील गावस्कर का कॉलम)
अंक तालिका में शीर्ष पर रहने वाली गुजरात लायंस टीम के पास फाइनल में जगह बनाने के लिए एक और मौका है। इस बार उनका सामना सनराइजर्स हैदराबाद से है। कोलकाता टीम को हराकर सनराइजर्स ने मजबूत वापसी की है। जबकि लीग मुकाबलों में कोलकाता के खिलाफ सनराइजर्स ने दोनों मैच गंवाए थे। इससे यह साफ होता है कि वे अपनेकप्तान डेविड वार्नर के बड़े योगदान के बिना भी मैच जीत सकते हैं। इस सत्र में हैदराबाद की बल्लेबाजी वार्नर के इर्द-गिर्द रही है, लेकिन उनकी नेतृत्व क्षमता भी काबिले तारीफ रही है। उन्होंने आगे बढ़कर नेतृत्व किया और मैदान में उनका जज्बा भी शानदार है।
अगर इस साल आइपीएल में कप्तानों की कहानियां बयां की जाएंगी, तो शीर्ष तीन कप्तान अभी भी टूर्नामेंट में बने हुए हैं। न सिर्फ इन कप्तानों की बल्लेबाजी उम्दा रही, बल्कि इन्होंने खिलाडि़यों का भी अच्छी तरह इस्तेमाल किया। सुपरस्टार्स को संभालना कभी आसान नहीं होता। इनसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कराने के लिए हमेशा थोड़ा अतिरिक्त ध्यान देना पड़ता है। शायद पंजाब की टीम यही नहीं कर पाई। युवा कप्तान डेविड मिलर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ग्लेन मैक्सवेल को सही ढंग से नहीं संभाल पाए। जो क्रिकेट की समझ रखते हैं, उन्हें मैक्सवेल का परवाह न करने वाला अंदाज साफ दिख रहा था। इसके बाद विजय को कप्तान बनाया गया, जिससे टीम को फायदा हुआ क्योंकि वह टीम के भारतीय खिलाडि़यों को अच्छी तरह जानते हैं और इसी वजह से उनसे सर्वश्रेष्ठ निकलवाने में सफल हो सके।
इस मामले में वार्नर ने अच्छा काम किया। पार्ट टाइम गेंदबाजों को बेहतर ढंग से इस्तेमाल करना अहम रहा। नियमित गेंदबाजों के साथ काम आसान होता है, क्योंकि टीम में उनकी भूमिका स्पष्ट होती है, लेकिन पार्ट टाइमर को सही समय पर गेंद थमानी होती है और वार्नर इस मामले में सफल रहे। उन्होंने युवराज और दीपक हुड्डा का सही समय पर इस्तेमाल किया। हुड्डा और युवराज बल्ले से भी योगदान दे रहे हैं, जिससे वार्नर पर दबाव कम हुआ है। हालांकि उन्हें यह बात अच्छी तरह पता है कि बड़ा स्कोर बनाने के लिए उन्हें 15 ओवर तक तो मैदान में टिकना ही होगा।
रैना भी स्थितियों को अच्छी तरह से पढ़ पा रहे हैं। फिंच से वापस ओपनिंग कराने का फैसला कामयाब नहीं हुआ और मैकुलम भी टुकड़ों में प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि उनके पार्ट टाइम गेंदबाज रैना के लिए सिरदर्द बने हुए हैं, क्योंकि वे सही लाइन लैंथ से गेंदबाजी नहीं कर पा रहे हैं। इस वजह से कप्तान के लिए फील्डिंग लगाना मुश्किल हो रहा है। शायद उन्हें खुद गेंदबाजी करनी चाहिए और एक अतिरिक्त बल्लेबाज को टीम में शामिल करना चाहिए।
(पीएमजी)