खेल का नया व्याकरण सिखा रहे हैं कोहली
विराट कोहली बल्ले से अपनी महानता की इबारत लिख रहे हैं। उनके दिमाग को पढ़ पाने में कोई सफल नहीं हो पा रहा। दिमाग जो कल्पनाशील होने के साथ-साथ अनुशासित भी है। दिमाग जो शरीर को अपने साथ कदमताल करने के लिए कहता है। आखिर में जो कुछ भी इस
(रवि शास्त्री का कॉलम)
विराट कोहली बल्ले से अपनी महानता की इबारत लिख रहे हैं। उनके दिमाग को पढ़ पाने में कोई सफल नहीं हो पा रहा। दिमाग जो कल्पनाशील होने के साथ-साथ अनुशासित भी है। दिमाग जो शरीर को अपने साथ कदमताल करने के लिए कहता है। आखिर में जो कुछ भी इस खूबसूरत दिमाग से निकलता है वो सांसें थाम देने वाला होता है।
गेंदबाज कोई भी गेंद डालने का फैसला कर ले, लेकिन वो स्टेडियम में कहां जाएगी इसका फैसला कोहली करते हैं। किसी को नहीं पता होता कि कोहली मिडविकेट या फिर एक्स्ट्रा कवर के ऊपर से गेंद को बाउंड्री के दर्शन कराएंगे। गेंदबाज तो बस लाचार से नजर आते हैं। कोहली जब बल्लेबाजी करते हैं तो कैमरामैन का फोकस बाउंड्री पर ज्यादा होता है। कोहली की हिट की हुई गेंदों से बचने के लिए प्रशंसक उनके पसंदीदा क्षेत्रों से दूर रहने लगे हैं।
पिट रहे गेंदबाजों के लिए उनके कोच भी मददगार साबित नहीं हो रहे। मैदानकर्मियों से अब कोहली के लिए कठिन से कठिन पिच नहीं बन पा रही। कप्तान तो आउटफील्ड में पांच खिलाडि़यों को खड़ा करने के लिए याचिका डालने वाले हैं। यहां तक की रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर के डगआउट में बल्लेबाजों ने पहले से तैयार होकर बैठना बंद कर दिया है। किसने सोचा था कि आइपीएल के एक सत्र में कोई एक बल्लेबाज चार शतक लगा सकता है। ये कोहली हैं जो हमें खेल का नया व्याकरण सिखा रहे हैं।
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कोहली एक क्लब टीम को आइपीएल से काफी आगे लेकर जा चुके हैं। उनके जल्द आउट होने पर आरसीबी डगमगाने लगती है। टीम के बाकी खिलाड़ी बदहवास से होने लगते हैं। टीम में ऐसा कोई खिलाड़ी नजर नहीं आता जो कोहली की भरपाई कर सके।
किसी क्रिकेटर के करियर में ये दौर कभी कभार ही आता है। उसके महानता के किस्से पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाए जाते हैं। जैसे की 1976 में इंग्लैंड के खिलाफ विव रिचर्ड्स, 2001 में मुरलीधरन के खिलाफ ब्रायन लारा और 1992 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मासूम से दिखने वाले अनुभवहीन सचिन तेंदुलकर। क्रिकेट के ये वो लम्हे हैं जो हमें आनंदित करते हैं। हमारी जिंदगी की ऐसी बेहतरीन यादों को कोहली दोबारा संजो रहे हैं। अगर इसे महानता नहीं कहेंगे तो किसी कहेंगे मुझे नहीं पता। आरसीबी प्लेऑफ में पहुंचेगी या नहीं, लेकिन उन्होंने अपने दम पर आइपीएल में रोमांच पैदा कर दिया है।
(टीसीएम)