विराट ने एक भी कदम गलत नहीं रखा
विराट कोहली ने अब तक इंग्लैंड के खिलाफ कोई भी गलत कदम नहीं उठाया।
(गावस्कर का कॉलम)
मुंबई में इंग्लैंड पर भारत की जीत ने दिखाया कि इस टीम ने कितना लंबा सफर तय कर लिया है। इंग्लैंड ने एक ऐसी पिच पर टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 400 रन का स्कोर खड़ा किया जिस पर गेंद बमुश्किल ही टर्न हो रही थी। अच्छे उछाल के साथ बल्ले पर आ रही थी। मुंबई की पिच ऐसी है जहां गेंद बल्ले पर अच्छी आती है और बल्लेबाज गेंद की लाइन में आकर खुलकर शॉट लगा सकते हैं। पहले दिन तेज गेंदबाजों को कुछ मदद करने के बाद मुंबई की पिच दूसरे और तीसरे दिन बल्लेबाजी के लिए आसान हो जाती है। अगर इंग्लैंड की टीम पहले गेंदबाजी का फैसला करती और उसके तेज गेंदबाज पिच का उमेश यादव और भुवनेश्वर कुमार की तुलना में अधिक फायदा उठा पाते तो मेहमान टीम लाभ की स्थिति में हो सकती थी।
हालांकि इंग्लैंड की टीम कुछ कैच नहीं छोड़ती तो भी भारतीय टीम को मुश्किल में डाल सकती थी। आदिल रशीद अच्छे गेंदबाज हैं, लेकिन बतौर फील्डर उतने बेहतर नहीं हैं। उन्होंने दो मौकों पर भारतीय कप्तान विराट कोहली के कैच छोड़े और दोनों ही बार विराट ने बड़े शतक लगाकर आदिल के जख्मों पर नमक छिड़क दिया। खासकर उनका दोहरा शतक तो बल्लेबाजी की संपूर्णता की मिसाल था। पहली गेंद से लेकर तेज रन तलाशने की कोशिश में थकान भरा शॉट लगाकर आउट होने तक उन्होंने एक भी कदम गलत नहीं रखा। इससे पहले मुरली विजय ने शानदार शतक लगाया और फिर जयंत यादव ने बेहतरीन खेल दिखाते हुए अपना पहला टेस्ट शतक जड़ा। जब टीम को एक बड़ी बढ़त मिल गई तो फिर रविचंद्रन अश्विन ने इंग्लिश बल्लेबाजों के इर्द -गिर्द स्पिन का जाल बुना और पहली पारी की ही तरह दूसरी पारी में भी छह विकेट हासिल किए। इस दौरान वह 1984 में शिवरामाकृष्णन के बाद से वानखेड़े पर मैच में 12 विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज बने। अश्विन और बतौर भारतीय कप्तान 235 रन की सर्वश्रेष्ठ पारी खेलने वाले विराट कोहली को सिएट इंटरनेशनल क्रिकेटर्स ऑफ द वीक चुना जाता है।