खास थे विराट के शतक : आकाश चोपड़ा
चार साल पहले विराट कोहली एडिलेड गयी भारतीय टीम के सबसे युवा सदस्य थे। टीम काफी हतोत्साहित थी, लेकिन प्रतिकूल हालात में युवा कोहली अपना पहला टेस्ट शतक लगाकर छाप छोडऩे में सफल रहे थे। ऑस्ट्रेलियाई दौरा हमेशा से बेहद कठिन चुनौती माना जाता रहा है। कहा जाता है कि
(आकाश का कॉलम)
चार साल पहले विराट कोहली एडिलेड गयी भारतीय टीम के सबसे युवा सदस्य थे। टीम काफी हतोत्साहित थी, लेकिन प्रतिकूल हालात में युवा कोहली अपना पहला टेस्ट शतक लगाकर छाप छोडऩे में सफल रहे थे। ऑस्ट्रेलियाई दौरा हमेशा से बेहद कठिन चुनौती माना जाता रहा है। कहा जाता है कि यह दौरा ब्वॉयज (लड़कों) को मेन (पुरुष) में बदल देता है। उस शतक ने कोहली के साथ यही किया।
चार साल बाद विराट उसी मैदान पर टीम के कप्तान के तौर पर लौटे। इस बार पिछली बार से काफी बेहतर साबित हुए। 2011 में लगाया गया उनका शतक अच्छा था, लेकिन इस बार पहले टेस्ट में उनके लगाये गये दोनों शतक विशिष्ट थे, खासतौर से दूसरा।
टेस्ट मैच के अंतिम दिन शनिवार को भारत को 98 ओवरों में 364 रन बनाने थे। चर्चा इस बात की थी कि क्या वह 98 ओवर तक टिक पाएगा। शायद ही कोई भारत से यह उम्मीद कर था कि वह लक्ष्य हासिल कर लेगा। लेकिन हम कितने गलत थे? कोहली की अगुआई में भारत ने आक्रामक खेल दिखाया और अंत तक संघर्ष किया। भारतीय टीम लक्ष्य से थोड़ा दूर रह गयी, लेकिन उसने लोगों का दिल जीत लिया।