बल्लेबाजी क्रम में बदलाव करना होगा टीम इंडिया को
बेंगलुरु में पिच और बाउंड्री बल्लेबाजों में जोश भरने का काम करेगी।
(हर्षा भोगले का कॉलम)
अगर चिन्नास्वामी स्टेडियम की पिच का स्वभाव आइपीएल की तरह ही रहता है, तो सीरीज के आखिरी टी-20 मैच को पिछले मैचों की तुलना में ठीक वैसे ही अलग समझिए, जैसे नसीरुद्दीन शाह की ड्रामा फिल्म के बाद शाहरुख खान की ब्लॉकबस्टर फिल्म हो। नागपुर में पिच ने गेंदबाजों को थोड़ी उम्मीद बंधाई। ऐसा लग रहा था कि यहां नौ रन प्रति ओवर का हिसाब से रन बनेंगे। लेकिन बल्लेबाजों को मुश्किल हुई, जिसे देखना अपने आप में रोचक था।
मगर बेंगलुरु में पिच और बाउंड्री बल्लेबाजों में जोश भरने का काम करेगी। यह वही मैदान है, जहां क्रिस गेल जैसे बल्लेबाज के लिए आप फील्डर को बाउंड्री के बाहर खड़ा करते हैं। ऐसे में टीमें बाद में बल्लेबाजी करना चाहेंगी, क्योंकि वानखेड़े की तरह चिन्नास्वामी स्टेडियम में भी बड़े से बड़े स्कोर को बचाना मुश्किल है।
अजीब बात है कि इस वजह से गेंदबाजों की अहमियत और भी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में एक-एक खाली गेंद कीमती हो जाती है और विकेट के लिए तो जश्न मनाना लाजिमी हो जाता है। मैं देखना चाहूंगा कि भारत भुवनेश्वर कुमार को मौका देता है या नहीं। उन्होंने हर बार मौका मिलने पर अंतिम ओवरों में अपनी गेंदबाजी से प्रभावित किया है। भारत को शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों से ज्यादा रनों की जरूरत है, क्योंकि निचले क्रम में बल्लेबाजी कमजोर है।
मुझे यह भी लगता है कि भारत को अपने बल्लेबाजी क्रम को भी देखना चाहिए, क्योंकि सब कुछ सही नहीं लग रहा है। अगर मनीष पांडे नंबर तीन पर आते हैं, तो मुझे हैरानी नहीं होगी। इससे सुरेश रैना को निचले क्रम में आकर चीजों को अपने हिसाब से खत्म करने का लाइसेंस मिल जाएगा। आज के समय में लोकेश राहुल की बल्लेबाजी को देखना बहुत ही सुखद है, लेकिन उन्हें अपना रवैया सुनिश्चित करना होगा ताकि विराट कोहली अपनी गति से बल्लेबाजी कर सकें। सीधी सी बात है कि राहुल को खुलकर खेलना होगा ताकि कोहली खुलकर खेल सकें। फिर से टेस्ट मैचों की शुरुआत से पहले यह आखिरी टी-20 मैच है। इसमें खूब धमाल होने वाला है। ढेर सारे बनने के साथ क्रिकेट के मैदान में कुछ भी हो सकता है।
(पीएमजी)