रहाणे पर दिखता है द्रविड़ का प्रभाव
भारतीय क्रिकेट को हमेशा ही टॉप क्लास खिलाड़ी मिलते रहे हैं, जो बिना किसी मांग या शिकायत के देश की सेवा करते रहे। उन्हें देश का प्रतिनिधित्व करने पर गर्व है और वे टीम के लिए कुछ भी कर सकते हैं। हमारे पास राहुल द्रविड़ थे, जिन्होंने टीम के लिए
(सुनील गावस्कर का कॉलम)
भारतीय क्रिकेट को हमेशा ही टॉप क्लास खिलाड़ी मिलते रहे हैं, जो बिना किसी मांग या शिकायत के देश की सेवा करते रहे। उन्हें देश का प्रतिनिधित्व करने पर गर्व है और वे टीम के लिए कुछ भी कर सकते हैं। हमारे पास राहुल द्रविड़ थे, जिन्होंने टीम के लिए सब कुछ किया। सबसे ज्यादा जोखिम वाली जगह फॉरवर्ड शॉर्ट लेग में क्षेत्ररक्षण से लेकर विकेटकीपिंग तक की, ओपनिंग की।
उनकी निस्वार्थ देश सेवा हमेशा सामने आई, जब भी कभी ओपनर चोटिल या अनफिट हुआ, तो उन्होंने इस जिम्मेदारी को संभाला। जब भी कभी टीम को एक अतिरिक्त बल्लेबाज या गेंदबाज की जरूरत महसूस हुई, तो उन्होंने विकेटकीपर की भूमिका को संभाला। जबकि इस काम में हमेशा दूर से आने वाली थ्रो को पकड़ने में अंगुली टूटने का खतरा बना रहता था।
संन्यास लेने के बाद उन्होंने पूरी प्रतिबद्धता और पेशेवर अंदाज में मेंटर की भूमिका संभाली। विकेट के आसपास उनकी शानदार कैचों को भी हमें नहीं भूलना चाहिए। अंजिक्य रहाणे कह चुके हैं कि द्रविड़ उनके मेंटर हैं और इसी का असर है कि वह अपनी टीम के लिए किसी भी क्रम पर खेलने को राजी हो जाते हैं। नंबर तीन पर बल्लेबाजी के लिए बहुत से खिलाडि़यों को आजमाया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली तब रहाणे को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। वह मुंबई के लिए भी नंबर तीन पर बल्लेबाजी करते हुए अच्छा प्रदर्शन किया है। जब भारत के लिए उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई, तो उन्होंने तुरंत स्वीकार कर लिया।
बल्लेबाजी क्रम में बदलाव कभी भी आसान नहीं होता है क्योंकि एक क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए आप वहां सेटल हो जाते हैं। वैसे भी ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी करना आसान नहीं होता क्योंकि गेंद काफी सख्त होती है और पिच का बर्ताव भी पता नहीं चल पाता। वह पहली पारी में विफल हुए, लेकिन अपनी गलतियों से सबक लेते हुए वह दूसरी पारी में सीधे बल्ले से खेले और शानदार शतक बनाया। अपने शानदार शतक के लिए रहाणे को इस हफ्ते का सिएट इंटरनेशनल क्रिकेटर ऑफ द वीक चुना जाता है।
(पीएमजी)