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टेस्ट क्रिकेट की असली परंपरा निभा रहे पुजारा

पहले स्मिथ व मैक्सवेल और फिर पुजारा व साहा ने अपनी शानदार बल्लेबाजी से इस पिच को बहुत ही आसान बना दिया।

By ShivamEdited By: Published: Mon, 20 Mar 2017 08:19 PM (IST)Updated: Mon, 20 Mar 2017 08:29 PM (IST)
टेस्ट क्रिकेट की असली परंपरा निभा रहे पुजारा
टेस्ट क्रिकेट की असली परंपरा निभा रहे पुजारा

(हर्षा भोगले का कॉलम) 

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आखिरकार पिच को कोई भी नहीं समझ पाया। शुरुआत में सभी इसे देखकर थोड़ा घबरा गए थे। मगर मैच खत्म होने के बाद ग्राउंड्समैन सारी चर्चाओं पर हंस रहे होंगे। हालांकि यह पूछना बनता है कि पिच को लेकर ज्यादा नमक मिर्च लगाकर बातें करने की जरूरत नहीं थी। बहुत लंबे समय तक यह बहुत ही नरम रही। या फिर यह भी हो सकता है कि पहले स्मिथ व मैक्सवेल और फिर पुजारा व साहा ने अपनी शानदार बल्लेबाजी से इस पिच को बहुत ही आसान बना दिया।

पुजारा ने ऐसी पारी खेली, जिसमें वह विकेट देने को तैयार नहीं थे। भारत में दशकों पहले इस तरह की बल्लेबाजी को बहुत अच्छा माना जाता था। जहां आप अपने ऊपर सभी तरह के हमलों को झेलने के लिए तैयार रहते थे। पुजारा टेस्ट क्रिकेट की असली परंपरा से ही हमारे सामने आए हैं। ठीक उस राग की तरह जो गैर जरूरी ऑर्केस्ट्रा से खराब नहीं हुआ। पिच पर समय बिताने के लिए उनके पास एक कारण था। क्योंकि अगर ऑस्ट्रेलिया को दूसरी पारी जल्द खत्म करने का मौका मिलता तो इस पिच पर भारत को आखिरी में बल्लेबाजी करनी पड़ती। आखिरी क्षणों में पिच से की गई छेड़छाड़ अभी भी ताजा थी। वह थोड़ा आक्रामक हो सकते थे, लेकिन भारत ने च्यादा ही विकेट गंवा दिए थे। इसी वजह से सौराष्ट्र के उनके प्रभावी साथी की मौजूदगी के बावजूद बहुत च्यादा समय नहीं बचा था।

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ऑस्ट्रेलिया ने दायें हाथ के दो तेज गेंदबाज और चार खब्बू बल्लेबाज चुनकर जडेजा को एक तरह से फायदा पहुंचाने का काम किया, क्योंकि उनकी वजह से पिच पर काफी निशान बन गए थे। मगर पहली पारी में उनका प्रदर्शन च्यादा काबिले तारीफ था। जहां ये निशान पिच पर नहीं उन लोगों के दिमाग में बने हुए थे, जो इसकी आलोचना कर रहे थे। अश्विन के प्रदर्शन में जहां थोड़ी सी कमी दिख रही थी, वहीं जडेजा ने अपने खेल के स्तर को उठाया। अपने प्रदर्शन से उन्होंने खुद को अच्छी पिच के गेंदबाज के रूप में भी साबित करने का दावा मजबूत किया है।

क्रिकेट दिन ब दिन मुश्किल होता जा रहा है और मौजूदा सीरीज में यह राज किसी से छिपा नहीं है। मगर लोगों को एक कदम पीछे लेते हुए गहरी सांस लेने की जरूरत है ताकि फिर से क्रिकेट कौशल की प्रतिस्पर्धा हो। हां, यह सही है कि थोड़े मसाले की जरूरत भी होती है और युवा समय-समय पर ऐसा प्रदर्शन करते रहेंगे। मगर यह याद रखना होगा कि अच्छी करी बनाने के लिए मसाले सिर्फ उसके स्वाद को बढ़ाने के लिए होते हैं, लेकिन वह उसकी मुख्य सामग्री नहीं है। उम्मीद है कि खूबसूरत धर्मशाला में क्रिकेट कौशल के शानदार प्रदर्शन के साथ इस लंबे सत्र का अंत होगा।

(पीएमजी)

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