बीस ओवर में अधिक नहीं बदलती पिच
शुरुआती चार में से तीन मैचों में परिणाम लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम के पक्ष में रहा। अभी तो यह बस शुरुआत है। बीस ओवर में लक्ष्य का पीछा करते हुए आप अपनी बल्लेबाजी में लचीलापन ला सकते हैं और उसे गति प्रदान कर सकते हैं। पूरे बल्लेबाजी क्रम को उपयोग में लाया जा सकता है। अधिकतर टीमों के पास शीर्ष सात
(रवि शास्त्री का कॉलम)
शुरुआती चार में से तीन मैचों में परिणाम लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम के पक्ष में रहा। अभी तो यह बस शुरुआत है। बीस ओवर में लक्ष्य का पीछा करते हुए आप अपनी बल्लेबाजी में लचीलापन ला सकते हैं और उसे गति प्रदान कर सकते हैं। पूरे बल्लेबाजी क्रम को उपयोग में लाया जा सकता है। अधिकतर टीमों के पास शीर्ष सात स्थानों पर बेहतरीन बल्लेबाज हैं। आप उनमें से कुछ का बलिदान कर सकते हैं, इसके बाद भी आपके पास पर्याप्त फायरपावर रहेगी।
चेन्नई और पंजाब का मैच इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण है। धौनी ने अपनी आदत के विपरीत पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। उन्होंने सोचा होगा कि पिच सूखेगी तो दूसरी पारी में उनके स्पिनरों को मदद मिलेगी। दूसरे जब विपक्षी टीम पहले गेंदबाजी कर थक जाएगी तो इस गर्मी में उनके लिए लक्ष्य पाना आसान नहीं होगा। मगर इनमें से कुछ भी नहीं हुआ। न तो हालात और न ही स्पिनर चेन्नई को मैक्सवेल के प्रहार से बचा सके। दिलचस्प यह है कि पंजाब के छह विकेट बचे ही रह गए। 20 ओवर के खेल में पिच में अधिक बदलाव नहीं होता। मुझे उम्मीद है कि यहां अधिकतर टीमें बाद में बल्लेबाजी करना पसंद करेंगी। यहां तक कि कोलकाता भी जिसने पहले बल्लेबाजी करने के बावजूद मैच जीता।
अधिकतर टीमों में एक या दो लेग स्पिनर हैं। इनमें से युजवेंद्र चहल ने चमक बिखेरनी शुरू कर दी है। गत चैंपियन मुंबई के पास श्रेयस गोपाल हैं। यह 20 वर्षीय लेगी कर्नाटक से है, जहां से कुंबले और चंद्रशेखर जैसे दिग्गज निकले हैं। गंभीर, हसी, पोलार्ड और जॉनसन जैसे कुछ बड़े नाम उम्मीदों के हिसाब से खेलते नहीं दिख रहे हैं तो कैलिस और नरेन ने अपना जादू बरकरार रखा है। युवराज को भी आलोचकों को करारा जवाब देने का मौका मिल गया है। एरोन और चहल ने बेंगलूर की गेंदबाजी को मजबूती प्रदान की है।
(टीसीएम)