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युवा प्रतिभाओं के लिए मेंटर की जरूरत: वसीम अकरम

एक बार फिर तेज गेंदबाजी का बोलबाला देखकर मैं खुश हूं और इसके लिए ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज मिशेल जॉनसन को धन्यवाद देता हूं। मैं 125-130 की

By Edited By: Published: Tue, 26 Aug 2014 08:37 PM (IST)Updated: Tue, 26 Aug 2014 08:40 PM (IST)
युवा प्रतिभाओं के लिए मेंटर की जरूरत: वसीम अकरम

(वसीम का कॉलम)

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एक बार फिर तेज गेंदबाजी का बोलबाला देखकर मैं खुश हूं और इसके लिए ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज मिशेल जॉनसन को धन्यवाद देता हूं। मैं 125-130 की मध्यम गति की गेंदबाजी देखकर थक गया था और अब इसमें मेरी रुचि भी खत्म होती जा रही थी। जॉनसन पूरी दुनिया में एक बार फिर तेज गेंदबाजी के प्रशंसक पैदा करने में सफल हुए हैं। उनका ही असर है जो आजकल के बच्चे व युवा तेज गेंदबाज बनने की इच्छा जाहिर करने लगे हैं। तेज गेंदबाजी आगामी विश्व कप में टीमों का बड़ा हथियार होगा, जैसा कि हमने 1992 विश्व कप में भी देखा था। ऑस्ट्रेलिया में 15-20 ओवर के बाद गेंद स्विंग करना बंद कर देती है, ऐसे में यदि आपके पास अतिरिक्त गति है तभी आप मैच में अपनी छाप छोड़ सकेंगे।

भारत इस मामले में खुशकिस्मत है क्योंकि उसके पास कुछ ऐसे युवा गेंदबाज हैं जो 140 किमी प्रति घंटे व इससे ज्यादा की रफ्तार से लगातार गेंद फेंक सकते हैं। उमेश यादव खासकर बेहद प्रभावशाली हो सकते हैं जो इंग्लैंड के खिलाफ जारी वनडे सीरीज में भी भारतीय टीम का हिस्सा हैं। आइपीएल के पिछले सत्र में मैंने उमेश के साथ यॉर्कर गेंदों पर भी काम किया। उन्हें कुछ खास बातें बताई। उमेश के पास गति है, उनकी शारीरिक क्षमता भी अधिक है सबसे बड़ी बात उनमें सीखने की ललक है। वह सीखी हुई बातों पर अच्छी तरह से अमल करते हैं। उमेश ने आइपीएल में शानदार गेंदबाजी की और विकेट भी झटके। लेकिन इंग्लैंड दौरे के लिए टेस्ट टीम में उन्हें नहीं चुने जाने पर मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ।

भारत के पास उमेश, वरुण और शमी जैसे अच्छे तेज गेंदबाज हैं, लेकिन मैं इस बात को लेकर चिंतित हूं कि आखिरी उनकी निगरानी कौन कर रहा है। ये सभी साधारण परिवार से हैं और अचानक मिली सफलता, शोहरत या फिर असफलता का सीधा असर हमारी मनोदशा पर होता है और फिर यह हमारे प्रदर्शन में भी नजर आने लगता है। यहां बीसीसीआइ को ध्यान देने की जरूरत है। बोर्ड को चाहिए कि वह ऐसी युवा प्रतिभाओं के मार्गदर्शन के लिए एक प्रभावशाली मेंटर जरूर रखे। आप शमी को ही देख लीजिए। इंग्लैंड में विफल रहे, जबकि वहां की परिस्थितियों का उन्हें फायदा उठाना चाहिए था। उनकी गति भी कम हो गई है। दूसरी तरफ वरुण की गेंदों पर ढेरों रन बने। इन युवा गेंदबाजों के पास प्रतिभा है, लेकिन क्या वे लंबे समय तक देश की सेवा कर सकने में सक्षम हैं।

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