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जब सुनील गावस्कर का कमेंट्री बॉक्स में बैठना हो गया था मुश्किल

अगर भविष्य में भी इसी तरह की पिचें बनती रहीं तो एक समय ऐसा आ जाएगा जब गेंदबाज पिटाई का लुत्फ उठाने लगेंगे।

By ShivamEdited By: Published: Wed, 18 Jan 2017 08:30 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jan 2017 08:33 PM (IST)
जब सुनील गावस्कर का कमेंट्री बॉक्स में बैठना हो गया था मुश्किल
जब सुनील गावस्कर का कमेंट्री बॉक्स में बैठना हो गया था मुश्किल

(सुनील गावस्कर का कॉलम)

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पुणे के मैच से यह साफ हो गया कि बल्लेबाजी के लिए अच्छी परिस्थितियों में कोई भी स्कोर बड़ा नहीं है। शीर्ष स्तरीय बल्लेबाजों के सामने गेंदबाजों के लिए कोई विकल्प ही नहीं था। अगर भविष्य में भी इसी तरह की पिचें बनती रहीं तो एक समय ऐसा आ जाएगा जब गेंदबाज पिटाई का लुत्फ उठाने लगेंगे। दोनों टीमों को यह समझ आ गया है कि ओस हो या न हो, लेकिन बाद में बल्लेबाजी करना ही बेहतर है।

इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने अपेक्षाओं के मुताबिक खेलते हुए मनमर्जी से रन बनाए। टेस्ट सीरीज में अश्विन के नाम से भी बल्लेबाजों को डर लगता था, लेकिन यहां वह भी नहीं बच पाए। बाकी गेंदबाजों के साथ भी ऐसा ही हुआ। पावर और खूबसूरती से शॉट लगाने वाले जेसन रॉय की बल्लेबाजी को देखना अद्भुत अनुभव है। एक बार टिकने के बाद जो रूट भी पीछे नहीं रहे। हालांकि टेस्ट सीरीज की तरह यहां भी वह तब अपना विकेट गंवा बैठे, जब इंग्लैंड को उनके टिके रहने की जरूरत थी। मोर्गन और बटलर भी गलत समय पर आउट हुए। हालांकि बेन स्टोक्स ने दिखाया कि आखिर क्यों वह बेहद रोमांचक खिलाड़ी हैं। लंबे-लंबे छक्के लगाकर उन्होंने टीम का स्कोर 350 तक पहुंचाया।

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जब एक टीम को सात रन प्रति ओवर से ज्यादा के रनरेट से रन बनाने होते हैं, तो बल्लेबाज के पास बहुत ही कम समय होता है। धवन तेजी से रन बनाने के चक्कर में थर्ड मैन पर कैच दे बैठे। राहुल ने आलस दिखाते हुए गेंद को बैट और पैड के बीच से जाने दिया। धौनी की पारी असमान्य थी, क्योंकि वह आमतौर पर शुरुआत में दौड़कर रन बनाना पसंद करते हैं। पुरानी कहावत है कि अवसर आपको बड़ा बनाता है। यह कोहली पर तो लागू नहीं होती, क्योंकि वह पहले ही हर तरह की स्थिति के लिए तैयार रहते हैं। लेकिन केदार जाधव पर यह कहावत लागू होती है। इससे पहले उनके पास कभी भी इतने ज्यादा ओवर खेलने का मौका नहीं था, इसलिए वह छोटी-छोटी पारियां तो खेले, लेकिन मैच बदलने वाली पारी नहीं खेल पाए। यहां कप्तान के साथ मिलकर उन्होंने शानदार पारी खेली और एक समय ऐसा भी था जब वह अपने कप्तान से भी अच्छा खेलते दिखे।

हालांकि कप्तान ने भी कई मौकों पर अपने खेल के स्तर को उठाया और कई शॉट तो सच में अदभुत थे। खासतौर से जब उन्होंने क्रीज का इस्तेमाल कर गेंद को उठाकर मारा या फिर उनका बैकफुट ड्राइव। ऐसे शॉट बहुत ही कम देखने को मिलते हैं, स्पिनरों पर ही अक्सर यह शॉट खेले जाते हैं, लेकिन शायद पहली बार तेज गेंदबाजी पर यह शॉट खेला गया। इन दोनों बल्लेबाजों की जुगलबंदी से कमेंट्री बॉक्स में बैठना मुश्किल हो गया था। कटक की पिच भी कुछ अलग नहीं दिख रही है, इसलिए अगर इंग्लैंड को सीरीज में बने रहना है, तो उन्हें टॉस जीतना होगा।

(पीएमजी)

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