करुण और राहुल में महान बल्लेबाज बनने की संभावना
पूर्व बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने कहा कि नायर और राहुल में महान बल्लेबाज बनने की क्षमता है।
(गावस्कर का कॉलम)
इंग्लैंड अब आज के खेल की समाप्ति के साथ आगे की सोच रहा होगा ताकि वह यह भूल सके कि भारतीय दौरे पर उनकी टीम के साथ क्या हुआ। शायद गेंदबाज तो वापसी की फ्लाइट पकडऩे की सोचने भी लगे होंगे, क्योंकि उन्हें पता है कि अब उन्हें भारतीय बल्लेबाजों को और गेंदबाजी नहीं करनी है। एमए चिदंबरम स्टेडियम की सपाट पिच पर भारत ने सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजी नजारा पेश किया। उन्होंने अब तक का सर्वश्रेष्ठ स्कोर बनाया और वो भी कप्तान विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा के योगदान के बिना।
पहले लोकेश राहुल ने इंग्लिश गेंदबाजों की खबर लेते हुए 199 का स्कोर बनाया। निश्चित तौर पर वह आदिल रशीद की बाहर जाती गेंद पर खराब शॉट मारकर आउट होने से निराश हुए होंगे। उस एक शॉट की वजह से वह दोहरे शतक से चूक गए। उनके अच्छे दोस्त और कर्नाटक में उनकी टीम के साथी करुण नायर ने उनकी भरपाई कर दी और तिहरा शतक जड़ दिया। उनसे पहले सिर्फ दो ही बल्लेबाज यह कारनामा कर पाए हैं। उनमें से एक सर गैरी सोबर्स हैं, जिन्होंने अपने पदार्पण शतक को तिहरे शतक में बदला था।
पिछले दो टेस्ट में रन नहीं बनाने की वजह से नायर दबाव में थे। फरवरी के पहले हफ्ते में होने वाले टेस्ट मैच से पहले अजिंक्य रहाणे और रोहित शर्मा के फिट होने की पूरी संभावना है। ऐसे में उन्हें पता था कि टीम में बने रहने के लिए उन्हें बड़ा स्कोर बनाना होगा। हालांकि जिस ढंग से उन्होंने बल्लेबाजी की, वह उनके धैर्य का परिचय देता है। उनका धैर्य द्रविड़ की तरह और शॉट गुंडप्पा विश्वनाथ की तरह थे। दोनों ही बल्लेबाजों ने कर्नाटक के बल्लेबाजी मानकों को ऊपर उठाया था। अब राहुल और नायर को उसी अनुशासन में बल्लेबाजी करते देखना इस शानदार राज्य के प्रति सम्मान दिखाता है।
कर्नाटक पहले भी विश्व चैंपियन पैदा कर चुका है, न सिर्फ खिलाड़ी बल्कि कई महान रोल मॉडल भी हमें यहां से मिले हैं। प्रकाश पादुकोण, ईरापल्ली प्रसन्ना, बीएस चंद्रशेखर, राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले और पंकज आडवाणी ऐसे ही कुछ नाम हैं। दुनिया इन्हें सिर्फ खेल की नहीं, बल्कि व्यवहार की वजह से भी जानती है। अगर राहुल और करुण भी अपना प्रदर्शन जारी रखते हैं, तो इस सूची में उनका नाम शामिल हो सकता है। अगर भारत आखिरी दिन जीत से वंचित रहता है तो यह माना जाएगा कि निजी उपलब्धि की वजह से टीम जीत हासिल नहीं कर सकी। हालांकि यह याद रखना चाहिए कि ऐसे मौके बार -बार नहीं आते और इसे भुनाने में कोई बुराई नहीं है। फिलहाल हमें इस बात पर खुश होना चाहिए कि एक और भारतीय 300 के स्पेशल क्लब का हिस्सा बन गया है। उम्मीद है कि भविष्य में और भी कई नाम इस क्लब में जुड़ेंगे।