टेस्ट क्रिकेट के लिए काफी अहम थे जयवर्धने: सुनील गावस्कर
अपनी शानदार गेंदबाजी से पाकिस्तानी बल्लेबाजों को पवेलियन भेजने वाले रंगना हेराथ ने जयवर्धने को शानदार विदाई और श्रीलंका को टेस्ट सीरीज जिताने में मदद
(गावस्कर का कॉलम)
महेला जयवर्धने के क्रिकेट के पारंपरिक प्रारूप से रिटायर होने के फैसले से टेस्ट क्रिकेट थोड़ा गरीब हो गया है। दुनिया भर के गेंदबाजों के आगे उनकी खूबसूरत बल्लेबाजी को देखना बेहद खास अनुभव रहा है। टी-20 क्रिकेट और भारी बल्ले के आने से खेल से कलात्मकता खत्म होती चली गई, लेकिन जयवर्धने ने बेहद खूबसूरत शॉट्स से इसे जारी रखा। यहां तक कि विपक्षी टीम के खिलाडिय़ों के पास भी उनकी तारीफ करने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं बचता था। उन्होंने और संगकारा ने पिछले एक दशक से श्रीलंकाई बल्लेबाजी की जिम्मेदारी उठाई और उनके रिटायरमेंट से जो खालीपन आया है, उसे भरना मुश्किल होगा। उनके दोस्त संगकारा भी जल्द ही इस फैसले को ले सकते हैं। उस समय श्रीलंका को यह जरूर महसूस होगा कि ये दोनों उनकी टीम और क्रिकेट के लिए कितने अहम थे।
अपनी शानदार गेंदबाजी से पाकिस्तानी बल्लेबाजों को पवेलियन भेजने वाले रंगना हेराथ ने जयवर्धने को शानदार विदाई और श्रीलंका को टेस्ट सीरीज जिताने में मदद की। इस दौरान वह पहले ऐसे खब्बू गेंदबाज बन गए हैं, जिसने पारी में नौ विकेट लिए। हेराथ का तरीका सीधा सा है। वह सही लाइन पर और पूरे नियंत्रण के साथ गेंदबाजी करते हैं और अगर पिच से उन्हें मदद मिलती है तो उनके खिलाफ बचना लगभग नामुमकिन हो जाता है। हेराथ ने मैच में कुल 14 विकेट हासिल किए।
दूसरी ओर पांचवें और अंतिम टेस्ट में भारतीय बल्लेबाजों ने बिल्कुल संघर्ष नहीं किया और क्रिस जॉर्डन को अपने विकेट गिफ्ट में दे दिए। जॉर्डन ने पारी में चार विकेट हासिल किए। शायद जॉर्डन को अपने टेस्ट करियर में इससे ज्यादा आसानी से विकेट कभी नहीं मिल सकते। जॉर्डन ने खुद यह स्वीकार किया कि वह खुद को बेहतर टेस्ट क्रिकेटर बनाने की प्रक्रिया में हैं। उनके बयान से भारतीय बल्लेबाजों को आहत होना चाहिए, क्योंकि उन्होंने अपने विकेट ऐसे गेंदबाज को दिए, जो सिर्फ एक टेस्ट मैच पहले गेंद को इधर-उधर फेंक रहा था और जिसमें बिल्कुल भी आत्मविश्वास नहीं दिख रहा था। अगर एंडरसन और ब्रॉड आपका विकेट लेते हैं, तो समझ में आता है, क्योंकि वे विश्व स्तरीय गेंदबाज हैं। लेकिन मोइन अली, वोक्स और जॉर्डन जैसे गेंदबाजों को विकेट देने का मतलब है कि भारतीय बल्लेबाजों ने उस ढंग से मेहनत नहीं की, जैसी उन्हें करनी चाहिए थी।