जडेजा व अश्विन हैं जीत की गारंटी
जिंदगी में कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो आसानी से नहीं आतीं।
(रवि शास्त्री का कॉलम)
जिंदगी में कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो आसानी से नहीं आतीं। जैसे कानपुर में ट्रैफिक नियम। कार पार्किंग में भाईचारा। टीवी स्टूडियो में शांत माहौल। या भारत को टेस्ट मैचों में उसके घर पर हराना। ये ट्रेंड बदलना आसान नहीं है।
आप पहले दिन भारत को परेशान कर सकते हैं। दूसरे दिन उसके गेंदबाजों को मार लगा सकते हैं। मैच को आखिरी सांस तक ले जा सकते हैं। लेकिन नतीजा नहीं बदल सकते। नतीजा मानो पहले से तय होता है। ड्रॉमा ऐसा होगा, जो आपको उत्तेजित कर सकता हो। लेकिन नतीजा आपको ठंडक पहुंचाने वाला ही होगा। मैच के बाद भारत का जश्न भी ऐसा ही था। जैसे इसमें क्या बड़ी बात है। एक बार आगे निकलने के बाद उन्हें पता था कि नतीजा क्या होने वाला है।
ऐसा भरोसा आप रख सकते हैं, अगर आपके पास रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन जैसे गेंदबाज हों। जडेजा के मामले में एक ही बात पक्की है। वो हैं उनकी लेंथ यानी गेंदों की लंबाई। बाकी सब तो हिचकॉक के सस्पेंस की तरह है। पेस, स्पिन, बाउंस में विविधताएं सस्पेंस को चरम पर रखते हैं कि कब क्या होने वाला है। बल्लेबाज के कमान में एक मजबूत शस्त्र होता है उसकी इन्सि्टंक्ट यानी स्वाभाविक प्रतिक्रिया। लेकिन जडेजा की विविधताओं के आगे उसके पास कोई मौका नहीं होता।
अश्विन सबसे तेजी से 200 विकेट लेने के मामले में दूसरे नंबर पर आ चुके हैं। वह खेल के लेजेंड यानी महान बनने की तरफ अग्रसर हैं। गेंदबाजी में उनका विकास या विस्तार रुकने या धीमा होने का नाम नहीं ले रहा। कैरम बॉल से लेकर फ्लाइट, लूप, डिप, स्लाइडर, क्रीज का बेहतरीन इस्तेमाल, गति में विविधता..सब कुछ उनके पास है। इन सारे शस्त्रों की वजह से इस लंबे कद के गेंदबाज के सामने बल्लेबाजों के पास कोई मौका नहीं होता।
यह देखना सुखद है कि दोनों ने बल्ले के साथ अपनी प्रतिभा को भी पहचानना और उसमें बेहतर प्रदर्शन करना शुरू किया है। ऐसा लगता है, जैसे वेस्टइंडीज में अश्विन के प्रदर्शन ने जडेजा को झकझोर दिया है। अगर ये दोनों वाकई ऑलराउंडर की तरह खेलने लगे, जिसकी इनमें क्षमता है, तो भारत घरेलू टेस्ट में एक अतिरिक्त स्पिनर के साथ उतर सकता है। ऐसा करने से उसकी मारक क्षमता और बढ़ जाएगी।
यहां से भारत बेहतर.और बेहतर होने की तरफ ही जाएगा। ग्रीन पार्क में कोहली के अलावा सभी बल्लेबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। कप्तान जिस तरह के बल्लेबाज हैं, उन्हें ज्यादा देर खामोश रखा नहीं जा सकता। जितने ज्यादा रन बल्लेबाज बनाएंगे, घरेलू स्पिनर्स के लिए आक्रामक फील्ड लगाना उतना आसान होगा। बल्ले के आसपास फील्डर होंगे, तो कोई हल्का फुल्का किनारा भी गेंदबाजों को खाली हाथ नहीं रहने देगा। न्यूजीलैंड के स्पिनर्स का भी अपनी टीम के लिए बड़ा अहम रोल है। माहौल उनके अनुकूल है, लेकिन अनुभवहीनता उनके आड़े आती है। इस हार के बाद ईडन गार्डेंस में न्यूजीलैंड की टीम किस तरह जवाब देती है, उससे या तो आगे आने वाले मेहमानों के लिए खौफ का माहौल और ज्यादा बनेगा या उन्हें सबक मिलेगा कि किस तरह का रुख अपनाना है।
(टीसीएम)