भारत के शीर्ष छह खिलाडिय़ों पर बल्लेबाजी का दारोमदार
हम अक्सर टेस्ट क्रिकेट में संतुलित टीम की बात करते हैं, लेकिन टी-20 से ज्यादा इसकी अहमियत कहीं नहीं है, क्योंकि यहां हर समय विकल्प तलाशने होते हैं।
(हर्षा भोगले का कॉलम)
हम अक्सर टेस्ट क्रिकेट में संतुलित टीम की बात करते हैं, लेकिन टी-20 से ज्यादा इसकी अहमियत कहीं नहीं है, क्योंकि यहां हर समय विकल्प तलाशने होते हैं। इसी वजह से जडेजा और अश्विन को आराम देने के फैसले से खुश हूं, लेकिन इससे भारतीय टीम का संतुलन प्रभावित होगा।
आदर्श स्थिति में आप शीर्ष छह बल्लेबाजों में विकेटकीपर और एक गेंदबाज को शामिल करना चाहते हैं। धौनी की मौजूदगी से एक परेशानी तो सुलझ गई, लेकिन गेंदबाजी की भूमिका के लिए भारत को युवराज और रैना का इस्तेमाल करना होगा। सातवें नंबर पर एक ऑलराउंडर होना चाहिए और हार्दिक पांड्या इस भूमिका के लिए सही हैं। यहां से भारतीय बल्लेबाजी का निचला क्रम शुरू होता है और आठवें नंबर के बल्लेबाज को ज्यादा गेंद खेलने का मौका नहीं मिलता है, लेकिन कई बार उन्हें 12 गेंद में 20 रन बनाने पड़ते हैं।
इस स्तर पर परवेज रसूल की बल्लेबाजी की परीक्षा नहीं हुई है और इस प्रारूप में मौजूदा गेंदबाज नेहरा, बुमराह, भुवनेश्वर, अमित मिश्रा, चहल में से कोई भी इस भूमिका को ढंग से नहीं निभा पाया है। ऐसे में इस भारतीय टीम को ठीक वैसे ही खेलना होगा जैसे आइपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर (आरसीबी) खेलती है, जहां उनके शीर्ष 6-7 नंबर के बल्लेबाज रन बनाते हैं। जडेजा की गैरमौजूदगी में अक्षर पटेल ने फॉर्म खराब होने से पहले तक यह भूमिका सही से निभाई थी। पवन नेगी ने भी अच्छा किया था। बायें हाथ के इस खिलाड़ी की टीम को कमी खलेगी।
यह देखना रोचक होगा कि विराट कोहली ओपनिंग करते हैं या नहीं। मुझे लगता है कि वह ऐसा कर सकते हैं, क्योंकि आरसीबी में वह ऐसा करते रहे हैं। मैं दिल से उम्मीद कर रहा हूं कि सुरेश रैना फॉर्म में वापस लौटें। इससे सभी खिलाडिय़ों पर से दबाव हट जाएगा और भारत टी-20 के लिहाज से अच्छा स्कोर खड़ा कर पाएगा। मुझे अभी भी यह लगता है कि भारत को ऐसी पिच पर मैच खेलना चाहिए जहां 170 रन भी ज्यादा हों न कि 200 से ज्यादा भी कम पड़ें।