भारत का सामना आकर्षक इंग्लिश टीम से
भारत का सामना एक बहुत ही आकर्षक इंग्लिश टीम से है।
(भोगले का कॉलम)
मैंने कभी नहीं सोचा था कि सीमित ओवरों के क्रिकेट में लंबे समय तक इंग्लैंड के खेल को देखने के बाद मैं यह कहूंगा, लेकिन भारत का सामना एक बहुत ही आकर्षक इंग्लिश टीम से है। हालिया समय में मैंने इंग्लैंड की इससे अच्छी टीम नहीं देखी और इसके पीछे कई कारण भी हैं। पिछले कई साल या कहूं तो पिछले दो दशक में पहली बार इंग्लैंड सीमित ओवरों के क्रिकेट में पारंपरिक सोच के साथ नहीं खेल रहा है। उन्होंने ऐसे खिलाडिय़ों का चयन किया है, जो इस प्रारूप के लिए विशेषज्ञ हैं।
2015 विश्व कप में ऐसा लग रहा था कि वे आधुनिक क्रिकेट के हाइवे पर रिक्शा चला रहे हैं। उस शर्मनाक प्रदर्शन से आज की अच्छी और आधुनिक टीम की नींव रखी गई। अलग प्रारूप, अलग पिच और अलग सोच के साथ इंग्लैंड टेस्ट की तुलना में ज्यादा मुश्किल प्रतिद्वंद्वी साबित होगा। मगर उनका सामना ऐसी टीम से है, जिनके खून में सीमित ओवरों का क्रिकेट है और टीम में विराट कोहली व एमएस धौनी जैसे इस प्रारूप के दो शानदार खिलाड़ी हैं। इन दोनों में उम्र का फर्क है और अब दोनों की भूमिका भी बदल गई है। मगर 50 ओवर के क्रिकेट में दोनों की सोच एक जैसी है। मैं जानता हूं कि युवराज सिंह पर बहुत सारी निगाहें होंगी, लेकिन मेरी निगाहें धौनी पर रहेंगी।
लंबे समय से हम कहते रहे हैं, यहां तक कि गुहार भी लगाई है कि धौनी को अब फिनिशर की भूमिका छोड़कर चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करनी चाहिए। फिनिशर के रूप में अब उनकी चमक कम हो गई है। वह एक-दो रन चुराकर भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं, इससे पहले हम मुहम्मद अजहरुद्दीन को खूबसूरती से ऐसा करते देख चुके हैं। अगर वह 80 गेंद में 70 का स्कोर बनाते हैं, तो बाद के बल्लेबाजों के पास फिनिशर की भूमिका निभा सकते हैं।
मगर धौनी दिखा रहे हैं कि बड़े शॉट खेलना उनकी गेम का हिस्सा है। मुझे बिल्कुल हैरानी नहीं होगी अगर वह अब भी खुद को फिनिशर की भूमिका में देखते हैं। आखिरी 20 ओवरों में बल्लेबाजी करने वाला नहीं, बल्कि चौथे नंबर पर आकर शतक बनाने वाला? इस सीरीज में सिर्फ तीन मैच होने हैं, इसलिए यहां आपको सही जवाब नहीं मिलेगा, लेकिन एक अंदाजा जरूर लग सकता है। सपाट पिच पर इंग्लैंड और भारत का पलड़ा बराबर साबित हो सकता है। लेकिन अगर गेंद रुककर और थोड़ी ग्रिप बनाती है, तो भारत को इसका फायदा मिलेगा।