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टी-20 विश्व कप का प्रबल दावेदार बना भारत

जिस अंदाज में भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज जीती और जिस तरह से रोमांचक अंतिम मैच में उसके अनुभवी खिलाडिय़ों ने अपनी भूमिका बखूबी निभायी, उसने भारत को आइसीसी टी-20 विश्व खिताब का प्रबल दावेदार बना दिया है, जोकि अगले महीने शुरू होने जा रहा है।

By sanjay savernEdited By: Published: Tue, 02 Feb 2016 06:46 PM (IST)Updated: Tue, 02 Feb 2016 06:50 PM (IST)
टी-20 विश्व कप का प्रबल दावेदार बना भारत

(गावस्कर का कॉलम)

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जिस अंदाज में भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज जीती और जिस तरह से रोमांचक अंतिम मैच में उसके अनुभवी खिलाडिय़ों ने अपनी भूमिका बखूबी निभायी, उसने भारत को आइसीसी टी-20 विश्व खिताब का प्रबल दावेदार बना दिया है, जोकि अगले महीने शुरू होने जा रहा है।

करीब दो साल बाद टीम इंडिया में वापसी कर रहे युवराज सिंह शुरुआत में थोड़े नर्वस नजर आए। लेकिन अतीत में कई बार भारत के सिर जीत का ताज पहनाने वाले युवराज जल्द ही बॉल को कनेक्ट करने लग गया। आखिरी ओवर में 17 रन चाहिए थे और युवराज ने पहली गेंद पर चौका और दूसरी गेंद पर छक्का लगाकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। इसके बाद टी-20 टैलेंट सुरेश रैना ने विजयी रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया को 140 सालों में सबसे बड़ी हार झेलने को मजबूर किया।

200 के करीब के लक्ष्य का पीछा करना कभी भी आसान नहीं रहता है। लेकिन भारतीय सलामी बल्लेबाजों ने टीम को जोरदार शुरुआत दिलाई साथ ही यह भी प्रमाणित किया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शॉन टेट की गति का खौफ नहीं रहा, जैसा कि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया सोचती है। बल्लेबाज उनकी अतिरिक्त गति का फायदा उठाकर गेंद को आसानी से सीमारेखा की तरफ भेज दे रहे थे। कोहली अपनी बल्लेबाजी फॉर्म के चरम पर नजर आ रहे हैं तो वहीं रोहित भी बड़ी मिठास के साथ गेंद को सीमारेखा और उससे दूर भेजते नजर आ रहे हैं। इन दो बल्लेबाजों की साझेदारी की बदौलत ही भारत सीरीज में बड़े स्कोर बना सका। जिस तरह से भारतीय बल्लेबाज प्रदर्शन कर रहे हैं उसमें गेंदबाजों का प्रदर्शन नजर आना मुश्किल हो जाता है। लेकिन प्रशंसा करनी होगी भारतीय गेंदबाजों की जिन्होंने शुरुआती दोनों मैचों में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को काबू में करने में सफलता हासिल की। स्पिनरों ने बीच के ओवरों में अपना काम किया और बुमराह व नेहरा ने शुरुआत व पारी के अंत में शानदार गेंदबाजी के साथ रन गति पर लगाम लगाया।

अंतिम मैच में भारतीय गेंदबाज कुछ अलग रवैये के साथ मैदान पर उतरे, जो कारगर साबित नहीं रहा, हालांकि बाद में बल्लेबाजों ने इस नुकसान की भरपाई कर दी। बुमराह बायें हाथ के बल्लेबाज को पहली ही गेंद से राउंड द विकेट गेंदबाजी करते दिखे। लेकिन यह रणनीति चली नहीं। इसके बाद जडेजा लो फुलटॉस गेंद करते दिखे, जिसे ताकतवर वॉटसन ने दर्शकों की भीड़ में पहुंचा दिया। यह एक और रणनीति रही जो कारगर नहीं रही। कुछ खराब प्रदर्शन को भूला दिया जाए तो भारतीय टीम का यह प्रदर्शन विदेशी धरती पर कुछेक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से एक है।

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