दूसरे देश से खेलने के नियम पर आइसीसी करे विचार: गावस्कर
कोई खिलाड़ी एक देश में पैदा होता है, वहां क्रिकेट सीखता है और अपने देश में मौका आसानी से नहीं मिलने की वजह से दूसरे
गावस्कर का कॉलम
कोई खिलाड़ी एक देश में पैदा होता है, वहां क्रिकेट सीखता है और अपने देश में मौका आसानी से नहीं मिलने की वजह से दूसरे देश के लिए खेलना शुरू कर देता है। मुझे लगता है कि आइसीसी को इस समस्या पर बेहद गंभीरता से विचार करना चाहिए। ऐसे खिलाडिय़ों में से अधिकतर के दादा-नाना या फिर कोई रिश्तेदार दूसरे देश का नागरिक होता है। निश्चित तौर पर नियम के मुताबिक उन्हें चार साल संबंधित देश में रहना होता है, लेकिन कई बार तो यह नियम भी लागू नहीं होता। आइसीसी इवेंट में ऐसा अक्सर देखने को मिलता है, जब जो खिलाड़ी अपनी राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के हकदार नहीं होते हैं, वे एसोसिएट टीमों की तरफ से इन टूर्नामेंटों में भाग लेते हैं।
सालों से इंग्लैंड की टीम एक तरह से विश्व एकादश की टीम जैसी दिखाई देती है। इंग्लैंड को यह भी फायदा मिलता है कि वह स्कॉटलैंड और आयरलैंड से भी खिलाडिय़ों का चयन कर सकता है। और जब इन खिलाडिय़ों को आभास होता है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट इतना भी आसान नहीं है, तो वे वापस से अपनी मूल टीम की ओर रुख कर लेते हैं। इसके लिए उनके सामने चार साल के क्वालीफाइंग पीरियड का नियम भी आड़े नहीं आता। ज्यादा समय नहीं बीता है, जब डिर्क नानेस जून में आइसीसी टी-20 क्रिकेट विश्व कप में नीदरलैंड की ओर से खेलते दिखाई दिए थे और अक्टूबर में इसी प्रारूप में वह ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। मुझे हैरानी नहीं होगी, अगर एशेज सीरीज में इंग्लैंड की टीम में शामिल किए गए बॉयड रैनकिन अगले साल विश्व कप में आयरलैंड की ओर से खेलते दिखाई दें।
न्यूजीलैंड की ओर से खेलने वाले ल्यूक रोंची ने क्रिकेट के गुर ऑस्ट्रेलिया में सीखो और जब उन्हें समझ में आया कि ऑस्ट्रेलिया की टीम में वह जगह नहीं बना पाएंगे, तो उन्होंने न्यूजीलैंड का रुख किया।