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उछाल भरी पिचों पर कोई बल्लेबाज सहज महसूस नहीं करता

त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में इंग्लैंड को बुरी तरह से हराने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम की श्रेष्ठता कभी भी संदेह के घेरे में नहीं थी। दो दिन पहले की ही तरह फाइनल मैच के दौरान भी पर्थ की पिच पर बल्लेबाजी आसान नहीं थी, खासकर शुरुआत में और जिम्मी एंडरसन की

By ShivamEdited By: Published: Sun, 01 Feb 2015 07:28 PM (IST)Updated: Sun, 01 Feb 2015 07:34 PM (IST)
उछाल भरी पिचों पर कोई बल्लेबाज सहज महसूस नहीं करता

(सुनील गावस्कर का कॉलम)

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त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में इंग्लैंड को बुरी तरह से हराने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम की श्रेष्ठता कभी भी संदेह के घेरे में नहीं थी। दो दिन पहले की ही तरह फाइनल मैच के दौरान भी पर्थ की पिच पर बल्लेबाजी आसान नहीं थी, खासकर शुरुआत में और जिम्मी एंडरसन की अगुआई वाली इंग्लिश गेंदबाजी ने एक समय ऑस्ट्रेलिया को भी मुश्किल स्थिति में ला खड़ा कर दिया था।

इंग्लैंड की टीम का बहुत कम स्कोर पर आउट हो जाना भी खेद जनक है। वे 40 ओवर के भीतर पवेलियन लौट गए। एंडरसन के सामने ऑस्ट्रेलियाई शीर्ष क्रम भी सहज नहीं दिखा। यह यही दर्शाता है कि केवल उपमहाद्वीप के बल्लेबाज ही नहीं बल्कि उन टीमों के बल्लेबाज भी उछाल और तेज पिच पर असहज हो जाते हैं जहां के घरेलू हालात बहुत हद तक एक समान जैसे होते हैं। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा बल्लेबाज है जो तेज और उछाल लेती पिच पर खुद को सहज महसूस करता हो। भारत के सलामी बल्लेबाजों ने पर्थ की इसी पिच पर पिछले मैच में अनुकरणीय धैर्य दिखाया था 83 रन की साझेदारी करके टीम को एक अच्छी शुरुआत दिलाई थी। लेकिन बाकी बल्लेबाज कुछ ज्यादा जल्दी में दिखे। कुछ भारतीय बल्लेबाजों को यह ध्यान में रखना होगा कि यह टी-20 प्रारूप नहीं है, बल्कि यह उससे थोड़ा लंबा प्रारूप है।

यहां वे क्रीज पर जमने के लिए थोड़ा वक्त ले सकते हैं। भारत को अपनी गेंदबाजी संयोजन भी सही करना होगा। ऐसी पिचों पर यदि नई गेंद के गेंदबाज अपना आधा भी दे दें तो बल्लेबाजों के लिए वे समस्या पैदा कर सकते हैं। दो स्पिनर के साथ जाएं या एक अतिरिक्त बल्लेबाज के साथ उतरें, यह बड़ी दुविधा है। विश्व कप मैचों से पहले भारत के कुछ अभ्यास मैच खेलने हैं, शायद उन मैचों में भारत को अपनी परेशानियों का हल मिल जाए। वे गत विजेता हैं और यदि उनके अंदर यह विश्वास आ जाए कि वे खिताब का बचाव कर सकते हैं तो फिर समझिए टीम ने आधी लड़ाई ऐसे ही जीत ली।

(पीएमजी)

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