डिफेंस पर भरोसा नहीं जता पा रहा इंग्लैंड
विराट कोहली का क्रिकेट के प्रति अवलोकन भी उतना ही शानदार है, जितनी मुंबई में उनकी बल्लेबाजी थी।
(हर्षा भोगले का कॉलम)
विराट कोहली का क्रिकेट के प्रति अवलोकन भी उतना ही शानदार है, जितनी मुंबई में उनकी बल्लेबाजी थी। इंग्लैंड के कमजोर डिफेंस को लेकर उनकी टिप्पणी का मैंने खासतौर से लुत्फ उठाया। इंग्लिश टीम अपने डिफेंस को मजबूत करने की प्रतिबद्धता भी नहीं दिखा रही है। चार साल पहले केविन पीटरसन ने मुंबई में टीम का भाग्य बदला था, जबकि अहमदाबाद में इससे पिछले मैच में वह लेफ्ट आर्म स्पिनर के सामने खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। उन्होंने इसका श्रेय अपने डिफेंस को लेकर जगे आत्मविश्वास को दिया था। विराट कोहली ने जो रनों का अंबार लगाया है, उसमें उनके मजबूत डिफेंस की अहम भूमिका है। उनसे बहुत सी चीजें सीखने वाली हैं।
जब लोग किसी चीज को लेकर सुनिश्चित नहीं होते हैं, तो वो उसे जल्द से जल्द खत्म करना चाहते हैं। चाहे जनसभा में तेजी से बोलना हो, या तेज गेंदबाजों पर शॉट लगाना या फिर किसी अहम फैसले को लेने से पहले बिल्कुल नहीं सोचना। उन्हें लगता है कि ऐसा करके वे मुश्किल से निकल सकते हैं। मेरा मानना है कि यह इंग्लिश टीम अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पा रही है। या फिर सच्चाई यह है कि भारतीय क्रिकेटर उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार खेलकर आत्मविश्वास हासिल नहीं करने दे रहे हैं।
इस दौरे की खोज जॉनी बेयरस्टॉ उस वाकये को हमेशा याद रखेंगे, जब वह अश्विन की कैरम बॉल पर चकमा खा गए। उस समय उनके हावभाव आगे तक याद रहेंगे। मुझे ऐसा लगता है कि टीम के अन्य खिलाड़ी भी इससे प्रभावित होंगे। हाल ही में अश्विन के कुछ शानदार कारनामों में से यह एक था। अश्विन इसलिए सफल हो रहे हैं क्योंकि उनमेंसीखने की भूख के साथ खुद में सुधार लाने की प्रतिबद्धता है। इससे भी ज्यादा उन्हें खुद में विश्वास है। पारंपरिक समाज में इसे घमंड माना जा सकता है, लेकिन खेल की दुनिया में जरा सी मानसिक कमजोरी भारी पड़ सकती है। अश्विन के आत्मविश्वास ने उनका साथ हमेशा दिया। उस समय भी उन्हें ज्यादा विकेट नहीं मिल रहे थे। कैरम बॉल और टॉप स्पिनर इसके उदाहरण हैं। कोहली और अश्विन इस समय अलग-अलग पथ पर चल रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि दूसरे खिलाड़ी भी उनकी राह पर चलेंगे।