इंग्लैंड के गेंदबाजों ने निभाई जीत में अहम भूमिका
इस तथ्य को भी नकारा नहीं जा सकता कि दोनों जगह पिच भारतीय हालात के अनुकूल नहीं थीं।
(रवि शास्त्री का कॉलम)
इंग्लैंड ने कानपुर में मिली सफलता का मंच कोलकाता में ही तैयार कर लिया था। हालांकि दोनों मैच अलग-अलग प्रारूप के थे। लेकिन इस तथ्य को भी नकारा नहीं जा सकता कि दोनों जगह पिच भारतीय हालात के अनुकूल नहीं थीं। कुछ भी हो इंग्लैंड ने अच्छी गेंदबाजी की। भारतीय खिलाडि़यों के लिए मेरी एक सलाह है। बहादुरी और उतावलेपन में मामूली अंतर होता है। लेकिन भारतीय ग्रीन पार्क में उतावलापन दिखा रहे थे। जब हालात की मांग थी कि कोई अच्छी साझेदारी की जाए, वे लक्ष्य तय करने के इरादे से खेल रहे थे। जो निश्चित तौर पर गलत रवैया था। सफेद गेंद के प्रारूप में ठोस नींव रखे बिना ज्यादा लक्ष्य देने के इरादे से खेलना बुनियादी रूप से गलत है।
दूसरी ओर इंग्लैंड से जीत का श्रेय छीनना भी ठीक नहीं होगा। उनके गेंदबाजी आक्रमण से जाहिर था कि वे किस हद तक सतर्क थे। अनुभवहीन भारतीय बल्लेबाजों के खिलाफ उन्होंने संतुलित तेज और स्पिन गेंदबाजों को आजमाया। तेज गेंदबाजों ने यार्कर का अच्छा इस्तेमाल किया। यहां तक कि धौनी को भी उन्होंने बांध दिया। भारतीयों को अगले दो मैचों में भी ऐसी ही गेंदबाजी का सामना करना पड़ेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि मेजबान बल्लेबाज किस तरह इसका तोड़ निकालते हैं।
इयान मोर्गन कप्तान और बल्लेबाज दोनों की भूमिका में शानदार रहे। उन्होंने अपने गेंदबाजी आक्रमण में लगातार बदलाव कर भारतीय बल्लेबाजों को जमने का मौका नहीं दिया। जल्दी-जल्दी दो विकेट गंवाने के बाद उन्होंने शानदार तरीके से लक्ष्य का पीछा किया। जो रूट ने उनका अच्छा साथ दिया। पहले टी-20 में इंग्लैंड की जीत ने तीन मैचों की सीरीज में रोमांच पैदा कर दिया है।
(टीसीएम)