समय के साथ और बड़ा होता जाएगा डे-नाइट टेस्ट
मैंने वास्तव में डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट की अवधारणा का आनंद लिया। यह कुछ अलग था और गुलाबी गेंद के साथ यह प्रयोग अच्छा रहा। मैं इस विचार के पीछे के व्यक्ति की प्रशंसा करता हूं। क्या गुलाबी गेंद खेल में लंबे समय तक टिक सकेगी? यह सवाल अभी भी बना
(वसीम अकरम का कॉलम)
मैंने वास्तव में डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट की अवधारणा का आनंद लिया। यह कुछ अलग था और गुलाबी गेंद के साथ यह प्रयोग अच्छा रहा। मैं इस विचार के पीछे के व्यक्ति की प्रशंसा करता हूं। क्या गुलाबी गेंद खेल में लंबे समय तक टिक सकेगी? यह सवाल अभी भी बना हुआ है। यह देखना होगा कि उपमहाद्वीप के मैदान पर गुलाबी गेंद कैसा व्यवहार करती है।
टेस्ट क्रिकेट को नया अवतार देने के इस विचार के आलोचक हमेशा मौजूद रहेंगे। लेकिन कैरी पैकर के सर्कस ने भी आलोचकों के निशाने पर होने के बावजूद दर्शकों को अपनी ओर खींचा था। बहुत से लोग इसका भी विरोध करेंगे और इसके खिलाफ लोगों को भड़काएंगे। लेकिन आप देखिए वनडे क्रिकेट के साथ क्या हुआ। समय के साथ यह और भी बड़ा होता गया। टेस्ट क्रिकेट की इस नई अवधारणा के साथ भी कुछ ऐसा ही होगा।
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ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के अलावा न्यूजीलैंड में भी टेस्ट मैच देखने के लिए बहुत कम लोग स्टेडियम पहुंचते हैं। यह डे-नाइट क्रिकेट इस खेल के सबसे पुराने रूप में दर्शकों की दिलचस्पी दोबारा पैदा करने में सहायक होगा। मैं यही सुझाव दूंगा कि टेस्ट क्रिकेट में जो भी बदलाव किए जाएं, वह धीरे-धीरे किए जाएं।
गुलाबी गेंद दोनों तरफ स्विंग कर रही थी। इसे अच्छी उछाल भी मिल रही थी। यह अच्छी तरह से सीम भी हो रही थी। बदलाव हमेशा से ही रोमांच पैदा करते हैं। टेस्ट क्रिकेट में रंगीन कपड़ों को लाना थोड़ी जल्दबाजी कहलाएगा। फिलहाल गुलाबी गेंद ही बदलाव की ओर एक बहुत बड़ा कदम है। कोलकाता के ईडन गार्डेस में भारत और पाकिस्तान के बीच डे-नाइट टेस्ट मैच की कल्पना कीजिए। खेल शाम करीब तीन बजे शुरू होगा और रात साढ़े नौ-दस बजे तक खत्म हो जाएगा। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वह शो हाउस फुल रहेगा।
(टीसीएम)