विपक्षी टीम की सारी रणनीति फेल कर देती है चेन्नई
मैच शुरू होते ही चेन्नई की टीम ने लय पकड़ ली थी। बेंगलुरु के खिलाफ टॉस जीतना उसके पक्ष में रहा। नेहरा और अश्विन शुरुआत में बेहद प्रभावी रहे। मैदान पर कुछ हैरत भरे क्षेत्ररक्षण देखने को मिले। यह वह टीम है जो विपक्षी टीम की सारी रणनीति उस तरह
(रवि शास्त्री का कॉलम)
मैच शुरू होते ही चेन्नई की टीम ने लय पकड़ ली थी। बेंगलुरु के खिलाफ टॉस जीतना उसके पक्ष में रहा। नेहरा और अश्विन शुरुआत में बेहद प्रभावी रहे। मैदान पर कुछ हैरत भरे क्षेत्ररक्षण देखने को मिले। यह वह टीम है जो विपक्षी टीम की सारी रणनीति उस तरह फेल कर देती है, जैसे कोई चोर आपके घर के अलार्म प्रणाली को करता है। जब तक आपको भनक लगती है आप लुट चुके होते हैं।
शुरुआत के कुछ ओवर बेहद कसे हुए थे। खासकर नेहरा और अश्विन ने ढेर सारी डॉट गेंदें फेंकी। गेल खुल कर नहीं खेल पा रहे थे। कुछ ऐसा ही हाल बेंगलुरु के कप्तान विराट का भी था। आखिरकार नेहरा ने उन्हें अपने शिकार बनाया।
अगर फ्लेऑफ की बात करें तो उसके तीन मैच बेहद नीरस थे। विजेता टीमों ने खूबसूरती से अपने मैच जीते और हारनी वाली टीमों ने आसानी से घुटने टेक दिए। फाइनल में जगह बनाने वाली चेन्नई और मुंबई की टीमों के पास अब अंतिम मौका है। चेन्नई फाइनल में दोनों टीमों की भिड़ंत के परिणाम की बराबर करना चाहेगी, जिसे मुंबई की टीम 2013 के खिताबी जंग में मात दे चुकी है। उम्मीद करता हूं कि यह मैच एक फाइनल की तरह होगा और मैच की आखिरी गेंद फेंके जाने तक ऊंट किस करवट बैठेगा इसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल होगा।
(टीसीएम)