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चेतेश्वर पुजारा की पारी बदलेगी तीसरे टेस्ट मैच का रुख

पुजारा ने दिखा दिया कि आइपीएल में जिन क्षमताओं की तारीफ की जाती है, टेस्ट क्रिकेट में उसकी जरूरत नहीं है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 18 Mar 2017 07:19 PM (IST)Updated: Sat, 18 Mar 2017 07:23 PM (IST)
चेतेश्वर पुजारा की पारी बदलेगी तीसरे टेस्ट मैच का रुख
चेतेश्वर पुजारा की पारी बदलेगी तीसरे टेस्ट मैच का रुख

 (हर्षा भोगले का कॉलम) 

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यह एक ऐसा संघर्ष वाला दिन था, जहां कोई भी टीम एक भी इंच पीछे हटने को तैयार नहीं थी। एक समय यह संघर्ष टेस्ट क्रिकेट की खासियत हुआ करता था, लेकिन रक्षात्मक एप्रोच की कमी होने के साथ खिलाडिय़ों में शॉट मारने की होड़ बढऩे की वजह से यह कम ही देखने को मिलता है। इसलिए ऐसे में दिन का खेल एक शांत साधु जैसे चेतेश्वर पुजारा के नाम रहा। उन्होंने दिखा दिया कि आइपीएल में जिन क्षमताओं की तारीफ की जाती है, टेस्ट क्रिकेट में उसकी जरूरत नहीं है।
आमतौर पर पुजारा का स्ट्राइक रेट पारी के साथ बढ़ता जाता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ क्योंकि दूसरे छोर से विकेट गिर रहे थे और ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाजी भी काफी उच्चस्तरीय थी। इसलिए छह घंटे दस  मिनट क्रीज पर रहते हुए 328 गेंद में उन्होंने 130 रनों की यह पारी मैच जिताने से ज्यादा मैच बचाने वाली साबित हो सकती है। मगर इससे उनकी अहमियत कम नहीं होती। उनके बिना यह सीरीज तीसरे दिन ही हाथ से चली जाती।
भारत इस सीरीज में इसलिए भी पिछड़ा रहा है क्योंकि उनके दो प्रमुख बल्लेबाज कोहली और रहाणे रन नहीं बना पा रहे हैं। ये दोनों भारतीय बल्लेबाजी के प्रमुख स्तंभ हैं। इनके फॉर्म में नहीं होने की वजह से विजय और पुजारा को शुरू में संभल कर खेलना पड़ा। एक दिन में 240 रन आठवें और नौवें दशक में बना करते थे।
हालांकि ऑस्ट्रेलिया ने पैट कमिंस को चुनकर अच्छा रणनीतिक फैसला लिया। सिर्फ दो मैच होने की वजह से वे उनसे ज्यादा से ज्यादा गेंदबाजी करा सकते हैं। उन्होंने भी इस पिच पर अपनी क्लास का परिचय दे दिया। पिच आपके सामने अड़ंगा डाल सकती है, लेकिन अगर आपके पास हवा में गति है, तो इससे बहुत ज्यादा फर्क  नही पड़ता। 
भारत को जितना संभव हो सके, उतने लंबे समय तक बल्लेबाजी करनी चाहिए, क्योंकि अभी भी वह 90 रन पीछे है। ऐसे में जीत के बारे में सोचना अभी बहुत दूर है। पहली पारी में स्कोर को बराबर रखना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। अगर भारत ऐसा कर पाता है और कुछ रनों की बढ़त हासिल कर लेता है और अगर पिच के बारे में जैसी बातें की जा रही हैं, अगर वैसी ही शरारत करती है, तो एक मौका हो सकता है। नहीं तो मैच बचाने पर ही पूरा ध्यान होना चाहिए।

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