गेंदबाजों से अजीब चीजें कराता है छक्के लगने का डर
कोई भी गेंदबाज छक्के खाना पसंद नहीं करता। उसके लिए यह एक धब्बे की तरह है। आपकी और कप्तान की आंखें एक-दूसरे की ओर देख रही होती हैं। स्टेडियम में बैठे तमाम दर्शकों की फुसफुसाहट आपके कानों को व्यंग्य जैसी लगती है। यह अहसास हो जाता है कि अंपायर किन
(शास्त्री का कॉलम)
कोई भी गेंदबाज छक्के खाना पसंद नहीं करता। उसके लिए यह एक धब्बे की तरह है। आपकी और कप्तान की आंखें एक-दूसरे की ओर देख रही होती हैं। स्टेडियम में बैठे तमाम दर्शकों की फुसफुसाहट आपके कानों को व्यंग्य जैसी लगती है। यह अहसास हो जाता है कि अंपायर किन नजरों से आपको देख रहा है। डगआउट में बैठे आपकी टीम के खिलाडिय़ों की शांत होकर भी जताई गई नाराजगी आपको बेचैन कर देती है। आपके हाथों में पसीना है। दिमाग में निराशा छाई है। पैर आपका साथ नहीं दे रहे हैं। यह उसी तरह है जैसे किसी को फांसी की सजा दी गई हो। यह सिर्फ एक मैच नहीं है, बल्कि आपकी प्रतिष्ठा भी है जो अस्त-व्यस्त हो चुकी है।
छक्के लगने का डर गेंदबाजों से अजीब चीजें कराता है। हर किसी को पता है कि ब्रैंडन मैकुलम स्क्वायर ऑफ द विकेट शानदार खेलते हैं, लेकिन कमाल की बात यह है कि गेंदबाज फिर भी उन्हें उसी जगह गेंद देते हैं या शॉर्ट गेंद जिस पर वह स्क्वायर लेग क्षेत्र में चौका या छक्का जड़ देते हैं। वह आगे निकलकर खेलते हैं, जिसे देखते हुए गेंदबाज गेंद की लेंथ थोड़ी छोटी कर देते हैं। मगर मैकुलम इसी का इंतजार कर रहे होते हैं और फिर गेंदबाज पर टूट पड़ते हैं। ऐसा ही उन्होंने राजकोट में पुणे के खिलाफ किया। पिच पर उनकी मौजूदगी ही गेंदबाजों को अजीब चीजें करने को मजबूर कर देती है।
मुंबई के खिलाफ मैच में हमने कोलकाता के स्पिनरों को भी लय खोते देखा। मिशेल मैक्लेनाघन ने स्टंप छोड़कर शॉट खेलने के लिए जगह बनाई। स्थिति भांपते हुए गेंदबाजों ने उनके पैड को निशाना बनाकर गेंद फेंकी, लेकिन मैक्लेनाघन ने उन्हें छक्के के लिए दर्शकों के बीच भेज दिया। ऐसा करते हुए यह बात भी साफ हो गई कि गैर पारंपरिक गेंदबाजों के लिए गैर पारंपरिक तरीके ही कारगर रहते हैं। हॉग और नरेन जैसे गेंदबाजों के खिलाफ आप पारंपरिक क्रिकेट नहीं खेल सकते।
यह डर ही है जो समझदार इंसान से भी बेवकूफी कराता है। किसी गेंदबाज के लिए लेंथ को छोटा करना पाप समान है। बावजूद इसके गेंदबाज डर के शिकार होकर ऐसा कर बैठते हैं। दरअसल, लंबे समय से यह डर गेंदबाजों के डीएनए में जगह बना चुका है। मगर आप किसी गेंदबाज पर छक्के लगा सकते हैं, लेकिन उसका दिमाग हासिल नहीं कर सकते। वास्तव में यही वो बात है जिससे मैच हारे और जीते जाते हैं।