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ऑस्ट्रेलियाई टीम को कभी कमजोर नहीं समझा जा सकता

जीत और हार खेल का हिस्सा है और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हमेशा जीतते हैं।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 04 Mar 2017 05:56 PM (IST)Updated: Sat, 04 Mar 2017 05:59 PM (IST)
ऑस्ट्रेलियाई टीम को कभी कमजोर नहीं समझा जा सकता
ऑस्ट्रेलियाई टीम को कभी कमजोर नहीं समझा जा सकता

 (गावस्कर का कॉलम) 

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ऑस्ट्रेलिया की विशाल जीत से निश्चित तौर पर भारतीय खेमा लडख़ड़ा गया है और भारत को फिर से एकजुट होकर यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसा दोबारा न हो। इसके लिए बहुत ही मजबूत चरित्र और प्रतिबद्धता की जरूरत होगी। जीत और हार खेल का हिस्सा है और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हमेशा जीतते हैं। सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी किसी दिन खराब प्रदर्शन कर बैठते हैं और दुनिया की नंबर वन भारतीय टीम के लिए पुणे के तीन ऐसे ही खराब दिन थे।
हालांकि ऑस्ट्रेलिया से जीत का श्रेय नहीं छीना जा सकता। उन्होंने भारतीयों की तुलना में ज्यादा प्रतिबद्धता और जीत की इच्छा दिखाई। हो सकता है कि भारतीय टीम स्टीव स्मिथ के उस बयान से गच्चा खा गई कि उनकी टीम अंडरडॉग है। क्रिकेट का इतिहास एक चीज दिखा चुका है कि कोई भी ऑस्ट्रेलियाई टीम कभी कमजोर नहीं रही है, चाहे कागजों पर वह कितनी ही कमजोर क्यों न दिखाई दे। ऑस्ट्रेलियाई कभी भी बिना लड़े हार नहीं मानते। स्टीव स्मिथ ने ऐसा ही उदाहरण पेश करते हुए सर्वश्रेष्ठ शतकों में से एक जड़ा और जब क्रिकेट को अलविदा कहेंगे तो पाएंगे पुणे का यह शतक उनके शीर्ष प्रदर्शनों में से एक रहा। किस गेंद को खेलना है, किसे छोडऩा, इसे लेकर उनकी योग्यता अलौकिक थी और किस्मत का साथ भी उन्हें मिला। पुणे जैसी पिच पर भाग्य का साथ मिलना भी बहुत जरूरी होता है।  
भारतीय फील्डिंग के बारे में क्या कहा जाए? बार—बार करीबी फील्डर कैच टपका रहे हैं। कैच टपकाने के बावजूद फील्डरों को नहीं बदलना भी एक बड़ा कारण है, जो ऐसा बार-बार हो रहा है। अजिंक्य रहाणे को छोड़कर बाकी सभी करीबी फील्डरों को झुकने में समस्या होती है, इसलिए वे समय पर नीचे झुककर एड़ी से नीचे की कैच नहीं ले पा रहे हैंं। फील्डिंग कोच खेल से पहले सैकड़ों कैच की प्रेक्टिस करा सकता है, लेकिन जब तक फील्डर नीचे झुककर खड़ा नहीं होगा, वह ज्यादा कैच टपकाएगा।
मैच के दूसरे स्टीव, ओकीफी के लिए पुणे टेस्ट यादगार साबित हुआ, उन्होंने एक दर्जन विकेट हासिल किए। इस प्रदर्शन से उन्होंने उन सभी आलोचकों का मुंह बंद कर दिया, जो टीम में उनके स्थान और योग्यता को लेकर सवाल उठा रहे थे। निश्चित तौर पर पिच पर बहुत स्पिन थी, लेकिन इसी पिच पर उनके सबसे अनुभवी स्पिनर नाथन लियोन पांच ही विकेट ले पाए। निश्चित तौर पर उन्होंने बाकी सभी की तुलना में ज्यादा अच्छा प्रदर्शन किया। वह सही मायने में मैन ऑफ द मैच के हकदार थे। हो सकता है कि सीरीज में आगे उन्हें इतने विकेट नहीं मिलें, लेकिन इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि पुणे टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया ने उन्हीं की बदौलत जीता।
पुणे टेस्ट मैच में अपनी अद्भुत गेंदबाजी के लिए स्टीव ओकीफी इस हफ्ते के सीएट इंटरनेशनल क्रिकेटर ऑफ द वीक हैं। 

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