नींद से जगाने वाली हार
पहले टी-20 में जिंबाब्वे ने भारत को दो रन से हरा दिया। हार जीत का अंतर कितना भी रहा हो, जीत, जीत होती है।
(सुनील गावस्कर का कॉलम)
पहले टी-20 में जिंबाब्वे ने भारत को दो रन से हरा दिया। हार जीत का अंतर कितना भी रहा हो, जीत, जीत होती है। यह जीत उस टीम का मनोबल उठाने का काम करेगी, जो अभी तक बेहद ही लचर और बेजान नजर आ रही थी। जैसा कि मैंने पहले टी-20 मैच से पहले लिखा था कि क्रिकेट के इस सबसे छोटे प्रारूप में दो टीमों के बीच मजबूती और कमजोरी के वह फासले मिट जाते जो अन्य दो बड़े प्रारूप में साफ-साफ नजर आते हैं। लेकिन इन सब बातों के बावजूद भारत की हार हैरान करने वाली रही।
भारतीय खिलाडि़यों, जिनके पास आइपीएल का अनुभव है, को किसी भी वक्त जिंबाब्वे के खिलाडि़यों से बेहतर नजर आना चाहिए था। इस दो रन की हार के लिए मैं बल्लेबाजों को ज्यादा दोष दूंगा। हां, यह जरूर है कि गेंदबाजों ने कुछ ज्यादा ही रन लुटा दिए। बैटिंग पिच पर यॉर्कर गेंद भी चिगुंबुरा के लिए अच्छी लेंथ पर आ रही थीं, जिसे वह जहां चाहें वहां भेज दे रहे थे। अगर बुमराह और अक्षर ने समझदारी से गेंदबाजी नहीं की होती तो स्कोर शायद 200 के पार चला जाता। इतने साल आइपीएल खेलने बावजूद उनादकट ने शायद कुछ नहीं सीखा। उन्हें बस बुमराह को देखना चाहिए था कि वह क्या कर रहे हैं। ऋषि धवन के पास भी आइपीएल का अनुभव है, लेकिन वह भी इसका फायदा नहीं उठा सके। लेकिन जो लंबे समय से खेल रहे हैं और खुद में कोई सुधार नहीं दिखा रहे हैं उन्हें बाहर का रास्ता दिखाते हुए नए लोगों को मौका दिया जाना चाहिए।
बल्लेबाजों ने समझदारी का खेल नहीं दिखाते हुए ख्याति दिलाने वाले बड़े शॉट खेलने की कोशिश कर टीम को परेशानी में पहुंचाया। हर मैच में आप कप्तान एमएस धौनी से यह उम्मीद करें कि वह जीत दिला ही देंगे, तो यह सही नहीं। जिंबाब्वे के मदजिवा ने क्रिकेट जगत को दिखाया कि दुनिया के बेस्ट फिनिशर के सामने किस लाइन और लेंथ से गेंदबाजी करनी चाहिए। यह नींद से जगाने वाली हार है और हमें जल्द ही पता चल जाएगा कि हमारी नींद खुली हैं कि नहीं।
(पीएमजी)