मौसम में बदलाव गेंदबाजों के लिए तोहफा
आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की शुरुआत में जो गर्मी का मौसम था, इस समय वह ठंडे बारिश के मौसम में तब्दील हो चुका है। मौसम में यह एक जबरदस्त बदलाव है। इससे कुछ हद तक गेंदबाजों की किस्मत जरूर बदल गई, जो 300 से ज्यादा का स्कोर रोक नहीं पा रहे थे। वर्तमान में 300 का स्कोर ज्यादा देखने को मिलता है, जबकि पहले यह 260 और इसके आसपास होता था। यह ज्यादातर परिस्थिति और पिच पर निर्भर करता है और इंग्लैंड में पिचें सूखी और बल्लेबाजी के लिए उपयुक्त हैं।
(सुनील गावस्कर का कॉलम)
आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की शुरुआत में जो गर्मी का मौसम था, इस समय वह ठंडे बारिश के मौसम में तब्दील हो चुका है। मौसम में यह एक जबरदस्त बदलाव है। इससे कुछ हद तक गेंदबाजों की किस्मत जरूर बदल गई, जो 300 से ज्यादा का स्कोर रोक नहीं पा रहे थे। वर्तमान में 300 का स्कोर ज्यादा देखने को मिलता है, जबकि पहले यह 260 और इसके आसपास होता था। यह ज्यादातर परिस्थिति और पिच पर निर्भर करता है और इंग्लैंड में पिचें सूखी और बल्लेबाजी के लिए उपयुक्त हैं।
यह भी याद रखना होगा कि सफ़ेद गेंद उतनी नहीं घूमती जितनी लाल गेंद घूमती है। लाल गेंदों की तुलना में सफेद गेंद रिवर्स स्विंग भी देर से करती है। इसलिए बल्लेबाजों की असली परीक्षा लाल गेंद के सामने ही होती है। जैसा कि मैं पहले कह चुका हूं कि दोनों छोर से नई गेंद उपलब्ध कराए जाने से गेंदबाजों का काम आसान हो गया है। लेकिन कुछ गेंदबाजों को छोड़कर नियमित स्विंग गेंदबाज कुछ खास करते नजर नहीं आ रहे हैं और इसलिए ओपनरों को सफलता मिल रही है। टूर्नामेंट में भारतीय सलामी जोड़ी अभी तक शानदार प्रदर्शन कर रही है। दो शतक लगा चुके शिखर धवन ने रोहित शर्मा के साथ दो शतकीय साझेदारी निभाई हैं, वह भी तेज रन रेट के साथ। इससे निचले क्रम के बल्लेबाजों को हर मौके पर अपना बल्ले खोलने की आजादी मिली और तेज रफ्तार बल्लेबाजी करते हुए वह बड़ा स्कोर खड़ा करने में सक्षम रहे। हालांकि बल्लेबाजों ने टूर्नामेंट में अपना दबदबा कायम किया और खूब सुर्खियां बटोरीं, लेकिन गेंदबाज भी ज्यादा पीछे नहीं रहे। रवींद्र जडेजा और मिशेल मैकक्लेनाघन की गेंदबाजी ने सबको आकर्षित किया। दोनों ही बायें हाथ के गेंदबाजों ने विकेट हासिल किए और विपक्षी टीम को कम स्कोर पर रोकने में अहम भूमिका निभाई।
इंग्लैंड ने 293 का एक बढि़या स्कोर खड़ा करने के साथ यह सोचा होगा कि वह यह मैच आसानी से जीतने में कामयाबी हासिल कर लेंगे। लेकिन कुमार संगकारा के क्लासिक शतक और नुवान कुलशेखरा के ताबड़तोड़ अर्धशतक ने दिखा दिया कि अभी लंकाई टीम में बहुत कुछ बाकी है। दिलशान और जयवर्धने ने भी अच्छी पारी खेली। लेकिन यह संगकारा ही थे जिन्होंने मेजबान टीम के हाथों से मैच छीन लिया।
(पीएमजी)
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