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टीम इंडिया में 'किलर पंच' की कमी

भारत का इंग्लैंड दौरा मिले-जुले परिणामों वाला रहा। 1959 के बाद पहली बार भारत ने इंग्लैंड में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेली। इंग्लैंड के

By Edited By: Published: Mon, 08 Sep 2014 03:19 PM (IST)Updated: Mon, 08 Sep 2014 03:53 PM (IST)
टीम इंडिया में 'किलर पंच' की कमी

(सुनील गावस्कर का कॉलम)

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भारत का इंग्लैंड दौरा मिले-जुले परिणामों वाला रहा। 1959 के बाद पहली बार भारत ने इंग्लैंड में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेली। इंग्लैंड के पिछले दौरे पर भारत ने अपने चारों टेस्ट के साथ-साथ सभी पांचों वनडे मैच भी गंवाए थे, ऐसे में इस बार टीम से ज्यादा उम्मीदें नहीं थीं और इसके अलावा टीम के साथ कई बड़े नाम भी नहीं थे। सभी इस खेल को अलविदा कह चुके थे, इसलिए खेल के दीवाने इस देश में लोगों ने क्रिकेट के बजाय फीफा विश्व कप देखने का मन बनाया।

लेकिन जैसे ही पहले टेस्ट में भारतीय बल्लेबाजों ने अच्छी बल्लेबाजी की और दूसरे टेस्ट में ऐतिहासिक जीत हासिल की, सभी की नजरें क्रिकेट पर लौट आईं और उन्हें लगने लगा कि उनकी टीम इस दौरे को यादगार बना देगी। इंग्लिश टीम की हालत अच्छी नहीं थी, लेकिन यहां भारतीय टीम में 'किलर पंचÓ की कमी नजर आई, जिसका फायदा उठाकर मेजबान ने तीसरे टेस्ट में वापसी कर ली। उसके बाद अगले दो मैचों में भारत को भयावह हार का सामना करना पड़ा।

लेकिन वनडे में नए सहयोगी स्टाफ के जुडऩे के बाद खिलाडिय़ों ने खुद को प्रेरित किया और टीम ने ऑलराउंड प्रदर्शन करते हुए सीरीज हथिया ली। सुरेश रैना ने एक बार फिर वनडे क्रिकेट में टीम में अपनी महत्ता साबित की। अपने चुस्त क्षेत्ररक्षण और ऊर्जा से उन्होंने सारे समीकरण बदल डाले। टीम के अन्य खिलाडिय़ों में ऊर्जा का संचार किया। टेस्ट में हार के बाद टूटी हुई टीम ने उनके शतक की मदद से ही वनडे में बढ़त बनाई। पहले वनडे में लक्ष्य देने के बाद अगले दो मैचों में भारत ने लक्ष्य का पीछा करना बेहतर समझा। दोनों मैचों में भारतीय स्पिनरों ने इंग्लिश बल्लेबाजों पर नकेल कसी रखी, लेकिन यहां तेज गेंदबाजों से उनका श्रेय नहीं लिया जा सकता, जिन्होंने शुरुआती झटके देकर मेजबान टीम की लय खराब कर दी। आखिरी वनडे में इंग्लैंड को अच्छी शुरुआत मिल गई और उसने 300 के करीब का स्कोर खड़ा कर दिया।

पिछले दो मैचों में छोटा लक्ष्य हासिल करने में कामयाब रहने वाली टीम इंडिया अंतिम वनडे में पिछड़ गई। यहां भी समय से पहले पकड़ ढीली करने का नतीजा भारत ने भुगता। उसे विपक्षों टीमों पर अंतिम समय तक पकड़ बनाए रखने की कला सीखनी होगी। वरना वे हमेशा पाएंगे कि मरणासन्न विपक्षी मौका मिलते ही उन पर पलटवार कर देगा।

(पीएमजी)

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