टीम चयन में दिया साहस का परिचय
इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में दूसरे दिन लंच के बाद शुरुआती घंटे को छोड़कर अभी तक भारतीय टीम की ओर से काफी धैयपूर्ण क्रिकेट देखने को मिला। इंग्लैंड ने भी बेहद अनुशासित गेंदबाजी की और कप्तान एलिस्टेयर कुक की फील्ड की जमावट ने भी काफी प्रभावित किया। भारत की अंतिम एकादश का चयन करते वक्
(रवि शास्त्री का कॉलम)
इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में दूसरे दिन लंच के बाद शुरुआती घंटे को छोड़कर अभी तक भारतीय टीम की ओर से काफी धैयपूर्ण क्रिकेट देखने को मिला। इंग्लैंड ने भी बेहद अनुशासित गेंदबाजी की और कप्तान एलिस्टेयर कुक की फील्ड की जमावट ने भी काफी प्रभावित किया। भारत की अंतिम एकादश का चयन करते वक्त साहस दिखाया गया और टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का निर्णय भी पूरी तरह सकारात्मक कदम रहा।
मुरली विजय एक विश्वासी युवा खिलाड़ी हैं। उनके लिए भले ही अभी तक के विदेशी दौरे खास नहीं रहे हों और आइपीएल-7 में भी उनका प्रदर्शन भूल जाने लायक रहा हो, लेकिन यहां उन्होंने दिखा दिया कि वह किस स्तर के बल्लेबाज हैं। ऐसे क्रिकेटर जो अपनी बल्लेबाजी में हालात के हिसाब से बदलाव करना जानते हैं, उनका भविष्य चमकदार और करियर लंबा होता है। जब भी विजय अपने पार्टनर को खोते रहे क्रीज पर टिकने का उनका जज्बा और बढ़ता गया। उनकी पारी भले ही धीमी रही, लेकिन उसमें शामिल चौकों की संख्या बताती है कि उन्होंने एक भी खराब गेंद को बिना सबक सिखाए नहीं छोड़ा।
एक अन्य बल्लेबाज का मैं जिक्र करना चाहूंगा और वह हैं कप्तान महेंद्र सिंह धौनी। विदेश में इससे पहले उनका प्रदर्शन इससे अलग हुआ करता था। वह अपनी उस छवि के नजदीक भी नजर नहीं आते थे जो उन्होंने मैच विजेता के तौर पर उपमहाद्वीप में बनाई थी। मगर अब उन्होंने विदेश में अपने खेल को सकारात्मक दिशा दे दी है। खुद को छठे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतारकर उन्होंने मैच पर नियंत्रण करने का बेहतरीन अवसर लपक लिया। इसी का परिणाम है कि उन्होंने शानदार अर्धशतक लगाकर टीम को मजबूत स्थिति तक पहुंचाने में मदद की। धौनी ने इस मैच में कुछ अलग करने की कोशिश की है। वह पांच गेंदबाजों के साथ मैदान पर उतरे और खुद छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए। वह किसी मिशन पर निकले उस कप्तान की तरह नजर आ रहे हैं जो विदेशी धरती पर अपना और अपनी टीम का प्रदर्शन सुधारना चाहता है।
इंग्लैंड के मौजूदा हालात को देखते हुए पांच गेंदबाजों के साथ खेलना एक नियमित प्रक्रिया बन सकती है। हालांकि टीम जरूरत पड़ने पर आगामी मैचों में अश्विन की ओर देख सकती है। कुछ अन्य मैचों की पिचें स्पिनरों की मददगार हैं और ऐसे में यह विकल्प बुरा नहीं है।
(टीसीएम)