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ये हैं वो 9 चीजें जो इस वर्ल्ड कप को बनाएंगी सबसे अलग

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में 14 फरवरी से शुरू हो रहे क्रिकेट वर्ल्ड कप पर दुनिया की निगाहें जमीं हैं। इस बार इस खिताब पर कब्जा जमाने के इरादे से 14 टीमें एक दूसरे से भिड़ेंगी। इस बार वर्ल्ड कप में ऐसी बातें देखने को मिलेंगी जिसकी वजह से हर एक

By sanjay savernEdited By: Published: Tue, 27 Jan 2015 05:16 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jan 2015 01:02 PM (IST)
ये हैं वो 9 चीजें जो इस वर्ल्ड कप को बनाएंगी सबसे अलग

नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में 14 फरवरी से शुरू हो रहे क्रिकेट वर्ल्ड कप पर दुनिया की निगाहें टिकी होंगी। इस बार इस खिताब पर कब्जा जमाने के इरादे से 14 टीमें मैदान पर उतरेंगी। वैसे, ये वर्ल्ड कप इसलिए भी खास है क्योंकि इस बार के आयोजन में कुछ ऐसी बातें देखने को मिलेंगी जो इससे पहले क्रिकेट फैंस ने विश्व कप में होती कभी नहीं देखी थीं। आइए जानते हैं उन 9 कारणों को जो इस बार के विश्व कप को और रोमांचक बनाएंगे।

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- दो नई गेंदों का इस्तेमाल

2015 वर्ल्ड कप में दो छोर से नई गेंद के साथ गेंदबाजी की शुरुआत की जाएगी। दो नई गेंदों के साथ ओपनर्स के लिए बल्लेबाजी आसान नहीं होगी। इससे पहले गेंदबाजी के लिए प्रयोग की जाने वाली सफेद गेंद को खराब होने की स्थिति में 34 ओवर के बाद बदल दिया जाता था। यानी साफ है कि गेंदबाजों को रिवर्स स्विंग आसानी से नहीं मिलेगी जिसका फायदा बल्लेबाजों को मिलेगा। ये नियम पिछले विश्व कप के ठीक बाद शुरू हुआ था इसलिए पहली बार विश्व कप में ऐसा होता देखेंगे हम।

- फील्डिंग प्रतिबंध और पावरप्लेः

फील्डिंग प्रतिबंध और पावरप्ले से संबंधित नियमों का असर वर्ल्ड कप पर साफ तौर से दिखेगा। सबसे बड़ा असर जो नियम डालेगा वो है पारी के दौरान ज्यादातर समय चार से पांच फिल्डर तीस यार्ड के घेरे से बाहर होने चाहिए। इसके अलावा इस बार पावरप्ले तीन के बजाए दो हिस्सों में बंटा होगा। पहले दस ओवर में पावरप्ले के दौरान रिंग के बाहर सिर्फ दो फिल्डर मौजूद रहेंगे साथ ही 40 ओवर से पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम की तरफ से लिए गए पांच ओवर के पावरप्ले में तीन फिल्डर रिंग से बाहर होंगे।

- पार्ट टाइमर्स पर कसेगा शिकंजाः

इस वर्ल्ड कप में पार्ट टाइम गेंदबाजों पर शिकंजा कसा होगा। पिछले वर्ल्ड कप में भारत की तरफ से युवराज सिंह पार्ट टाइम गेंदबाज होते हुए भी दस ओवर गेंदबाजी करते थे मगर इस बार शायद पार्ट टाइम गेंदबाजों को इतनी आजादी ना मिल पाए।

- स्विंग और सीम का होगा दबदबाः

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की तेज पिचों पर पिछले वर्ल्ड कप की तरह स्पिन गेंदबाजों का जलवा देखने को नहीं मिलेगा। वैसे भी वर्ल्ड कप का आयोजन उस वक्त किया जा रहा है जब दोनों देशों में गर्मी अपने आखिरी पड़ाव पर होगी उस वक्त वहां कि पिचें घिस जाती हैं। ऐसे में स्पिन गेंदबाजों के लिए कुछ मौकों की गुंजाइश जरूर हो सकती है।

- टॉप स्पिनर्स की खलेगी कमीः

इस बार वर्ल्ड कप के दौरान दुनिया के टॉप स्पिनर्स का जलवा देखने को नहीं मिलेगा। वनडे क्रिकेट में दुनिया के नंबर वन गेंदबाज सइद अजमल, सुनील नरेन और सचित्रा सेनानायके जैसे गेंदबाज अपनी-अपनी टीमों का हिस्सा नहीं होंगे। इन स्पिनर्स के नहीं खेलने का असर भी साफ तौर पर वर्ल्ड कप पर पड़ेगा।

- नजर आएंगे नए दिग्गजः

इस वर्ल्ड कप में सचिन तेंदुलकर, जैक्स कैलिस, ग्रीम स्मिथ, वीरेन्द्र सहवाग, जहीर खान, मुथैया मुरलीधरन और रिकी पोंटिंग जैसे दिग्गज फील्ड पर नजर नहीं आएंगे। इस बार विराट कोहली, कोरी एंडरसन, एरोन फिंच, मिचेल स्टार्क और मोइन अली जैसे खिलाड़ी उन दिग्गजों की जगह लेते नजर आएंगे और फैंस को नई युवा फौज से नए जलवे की उम्मीद होगी।

- डीआरएस तकनीक का इस्तेमालः

अंपायर द्वारा लिए गए कई गलत फैसलों से मैच का रुख बदल जाता है ऐसे में आइसीसी ने साफ कर दिया है कि इस वर्ल्ड कप में डीआरएस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि भारत इस तकनीक के हमेशा खिलाफ रहा है ऐसे में ये देखना दिलचस्प रहेगा कि ये तकनीक मौजूदा वर्ल्ड कप चैंपियन टीम इंडिया के लिए कितना फायदेमंद साबित होती है।

- बढ़ गई इनामी राशिः

वर्ल्ड कप 2011 के मुकाबले इस बार इनामी राशि में 25 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। इस बार कुल राशि 80 लाख डॉलर से एक करोड़ डॉलर कर दी गई है। टूर्नामेंट में जो छह टीमें क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने में कामयाब नहीं होगी उन्हें भी इनाम दिया जाएगा। उन सभी टीमों को 35 हजार डॉलर मिलेंगे जबकि ग्रुप स्टेज जीत के बाद 40 हजार डॉलर दिए जाएंगे। इस बार विजेता टीम अगर सभी मैचों में विजयी रही तो वे तकरीबन 40 लाख डॉलर अपने नाम कर सकेंगे।

- तूफानी रफ्तार से भाग सकता है रन रेटः

पिछले विश्व कप में पहली बार औसतन रन रेट पांच का रहा था जिसने 2007 विश्व कप के 4.95 के रन रेट का रिकॉर्ड तोड़ा था। इस बार विश्व कप ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की जमीन पर होना है। बेशक इन पिचों पर दो नई गेंदों के साथ गेंदबाजों का जलवा रहेगा लेकिन 2014 की शुरुआत से अब तक ऑस्ट्रेलिया की पिचों पर औसतन रन रेट तकीरबन 5.42 रहा है जबकि न्यूजीलैंड की जमीन पर ये तकरीबन 5.64 रहा है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि इस बार रन रेट के पुराने सभी रिकॉर्ड ढेर हो जाएंगे।

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