हर पैंतरे पर विरोधी टीम को कंपाने वाले कैप्टन कूल का जादू अब क्यों नहीं?
डूबता सूरज कहें या उतार-चढ़ाव..कुछ भी कहें लेकिन एक बात साफ है कि कहीं न कहीं कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धौनी का वो जादू गुम होता नजर आ रहा है जिसके हर पैंतरे पर विरोधी टीम कांप उठती थी। चाहे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारतीय टीम का प्रदर्शन हो या फिर
नई दिल्ली, [शिवम् अवस्थी]। डूबता सूरज कहें या उतार-चढ़ाव..कुछ भी कहें लेकिन एक बात साफ है कि कहीं न कहीं कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धौनी का वो जादू गुम होता नजर आ रहा है जिसके हर पैंतरे पर विरोधी टीम कांप उठती थी। चाहे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारतीय टीम का प्रदर्शन हो या फिर अब आइपीएल में..हर मोर्चे पर कैप्टन कूल का पुराना जलवा ढलता नजर आ रहा है। पुणे की टीम इस सीजन में बमुश्किल अब तक दो मैच जीत पाई है और चार हार के साथ अंक तालिका में छठे नंबर पर है, जो पूरी कहानी बयां करते हैं। ये हो सकते हैं इसके कुछ प्रमुख कारणः
- वो पुरानी टीमः
धौनी को शायद एक परफेक्ट टीम की आदत पड़ गई थी। आइपीएल में पिछले सभी सीजन में धौनी एक ऐसी टीम की कप्तानी कर रहे थे जहां उनके सभी साथी खिलाड़ी एक परिवार की तरह हो गए थे, जो तकरीबन हर सीजन में उनके साथ होते थे। रवींद्र जडेजा, सुरेश रैना, ड्वेन ब्रावो और फैफ डु प्लेसी जैसे दिग्गजों का दूसरी टीम में जाना उनके लिए सबसे बड़ा धक्का साबित हुआ है। ये कुछ ऐसे खिलाड़ी थे जिनका उपयोग धौनी कभी भी, कहीं भी कर सकते थे लेकिन अब ये मुमकिन नहीं हो पा रहा।
- सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी का फ्लॉप शोः
धौनी की बात हो रही हो और उनके सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी रविचंद्रन अश्विन की बात न हो, ये भला कैसे हो सकता है। चाहे भारतीय टीम की कप्तानी हो या फिर आइपीएल में, पिछले कुछ सालों से हर जगह अश्विन धौनी के सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी नजर आते थे। इसीलिए शायद नई फ्रेंचाइजी पुणे ने भी अश्विन को धौनी के साथ ही रखने का फैसला किया.....लेकिन अश्विन ने इस बार धौनी को पूरी तरह निराश किया है। अब तक टूर्नामेंट के 6 मैचों में अश्विन ने 6 मैचों में मात्र 2 विकेट ही हासिल किए हैं और इस दौरान अपने 18 ओवरों में 117 रन लुटा भी दिए।
- अपनी जिम्मेदारी ने बढ़ाया दबावः
बेशक धौनी उन कप्तानों में नहीं हैं जो दबाव में ढेर हो जाएं, शायद इसीलिए उनको कैप्टन कूल के नाम से भी जाना जाता है लेकिन जब लंबे समय तक कुछ समस्याएं बरकरार रहें तो दबाव घेर ही लेता है। यहां हम चर्चा कर रहे हैं उनकी बल्लेबाजी को लेकर। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और आइपीएल मिलाकर पिछले करीब 10 से ज्यादा मैचों में उनके बल्ले से एक भी अर्धशतक नहीं निकला है और न ही कम रनों की कोई ऐसी पारी देखने को मिली जिसने उनकी टीम का भला किया हो। ऐसे में जाहिर है कि कप्तान परेशान होगा ही।