मिलिए गंभीर को परेशान करने वाले जादुई स्पिनर से, दुनिया भर में है सबसे अनोखा
उम्मीद है कि दुनिया के तीन रहस्यमयी स्पिनर्स की तरह यह युवा भारतीय गेंदबाज भी जल्द ही वैश्विक स्तर पर अपना जलवा दिखाएंगे।
नई दिल्ली, भारत सिंह। कोंगंडा चरामना करियप्पा यानी के सी करियप्पा। इन नाम को जानने वाले क्रिकेट प्रेमियों को लंबे समय से उनसे जादुई प्रदर्शन की उम्मीद थी। करियप्पा अपने आप में अनोखे गेंदबाज हैं। उनके जैसा गेंदबाज फिलहाल विश्व क्रिकेट में सामने नहीं आया है। इस गेंदबाज ने रविवार को आइपीएल के 26वें मुकाबले में इसकी झलक दुनिया को दे दी है। हम ऐसा क्यों कह रहे हैं आपको अभी पता चल जाएगा।
मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले करियप्पा लंबे समय तक टेनिस गेंद से खेलते रहे हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत तेज गेंदबाजी वाले ऑलराउंडर के तौर पर की थी। अब वह ऐसे लेग ब्रेक स्पिनर हैं, जो बिना ग्रिप बदले ऑफ स्पिन भी करा सकते हैं। यानी बल्लेबाज को समझ नहीं आता कि वह लेग स्पिन करा रहे हैं या ऑफ स्पिन। यही नहीं, वह कैरम बॉल और गुगली के भी उस्ताद गेंदबाज हैं।
करियप्पा ने रविवार को पंजाब और गुजरात के मैच में रवींद्र जडेजा और अक्षदीप नाथ के अहम विकेट निकालकर अपनी टीम को जीत की राह पर चलने में मदद की। करियप्पा ने इस दौरान कैरम बॉल, लेग स्पिन और ऑफ स्पिन तीनों गेंदों का बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन्होंने 4 ओवर में केवल 24 रन देकर 2 विकेट लिए। इससे पहले उन्हें इस आइपीएल में दो मैचों में खेलने का मौका मिला था। दोनों मैचों में उन्होंने 1-1 विकेट लिया था। आइपीएल 2015 में उन्होंने कोलकाता से एक मैच खेला था और एबी डिविलियर्स का विकेट लिया था। 2016 में उन्होंने पंजाब से 5 मैच खेले थे और 3 विकेट लिए थे। उम्मीद है कि उन्हें इस आइपीएल में और इसके बाद टीम इंडिया की सफेद जर्सी में अपनी गेंदबाजी का करतब दिखाने के और भी मौके मिलेंगे।
ऐसे मिला था आइपीएल में मौका
करियप्पा के आइपीएल में आने की कहानी भी बड़ी मजेदार है। उन्हें 2014 में गौतम गंभीर ने चैंपियंस लीग टी 20 से पहले प्रैक्टिस सेशन में बुलाया था और टीम मैनेजमेंट को बताया था कि उन्हें करियप्पा को खेलने में परेशानी हुई और उनकी गेंदें समझ नहीं आईं। गंभीर जैसे स्पिन विशेषज्ञ बल्लेबाज की बातों को कोलकाता के मैनेजमेंट ने गंभीरता से लिया और अगले आइपीएल में करियप्पा को उनके बेस प्राइस 10 लाख रुपये के मुकाबले 2.4 करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि में खरीदा था। करियप्पा ने चैंपियंस लीग टी 20 के दौरान कोलकाता के पूर्व कप्तान जैक कैलिस को भी प्रभावित किया था। उन्होंने आइपीएल में आने से पहले कर्नाटक प्रीमियर लीग के 6 मैचों में 11 विकेट लेकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा था। फिलहाल वह पंजाब की टीम से खेल रहे हैं।
नरेन ने किया है करियप्पा को ट्रेन
करियप्पा ने आइपीएल में अपना सफर कोलकाता की टीम के साथ शुरू किया था। इस दौरान उन्हें सुनील नरेन के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करने और प्रैक्टिस का मौका मिला। नरेन ने उन्हें गेंद को बेहतर तरीके से ग्रिप करना, स्पिन करना, अंगुलियों का कमाल जैसी कई ट्रिक सिखाई हैं। इसके बाद से करियप्पा की गेंदबाजी में भी सुधार देखने को मिला है।
जादूगर तिकड़ी से इसलिए खास हैं करियप्पा
विश्व क्रिकेट में फिलहाल तीन दिग्गज गेंदबाजों, सुनील नरेन, अजंता मेंडिस और आर अश्विन को मिस्ट्री स्पिनर या जादूगर स्पिनर कहा जाता है। इसकी वजह यह है कि ये तीनों गेंदबाज ऑफ स्पिन गेंदबाजी करने के साथ ही कैरम बॉल डालने में महारत रखते हैं। इन तीनों गेंदबाजों में एक समानता है कि ये तीनों मूल रूप से ऑफ स्पिनर हैं। युवा गेंदबाज करियप्पा इन तीनों गेंदबाजों से इस मायने में अलग हैं कि वह मूल रूप से लेग स्पिनर हैं। इसके अलावा वह बिना ग्रिप बदले ऑफ स्पिन भी कर सकते हैं और कैरम बॉल भी। इसके अलावा इन तीनों की मुख्य गेंद ऑफ स्पिन है और ये विविधता के लिए कैरम बॉल डालते हैं, जबकि करियप्पा की मुख्य गेंद (स्टॉक बॉल) कैरम बॉल है और वह इसके साथ एक ही ओवर में लेग और ऑफ स्पिन भी करा लेते हैं।
काफी मजेदार हैं क्रिकेट के नियम
क्रिकेट के नियमों के मुताबिक कोई गेंदबाज अंपायर या बल्लेबाज को बिना बताए एक ही ओवर में लेग स्पिन या ऑफ स्पिन या फिर तेज गेंदबाजी कर सकता है। हां, अगर गेंदबाज एक ही ओवर में दो हाथों से गेंदबाजी करता है तो उसे पहले अंपायर को बताना होगा, वरना वह नो-बॉल मानी जाएगी। वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज गैरी सोबर्स स्पिन और तेज गेंदबाजी दोनों किया करते थे। भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने भी दोनों तरह की गेंदबाजी की है। आमतौर पर तेज गेंदबाजी 125 किमी प्रति घंटे से ज्यादा की गेंद मानी जाती है, लेकिन पाकिस्तान के लेग स्पिनर शाहिद आफरीदी के नाम सबसे तेज स्पिन गेंद- 134 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी का रिकॉर्ड भी दर्ज है।
क्या होती है कैरम बॉल
कैरम बॉल स्पिन गेंदबाजी की एक अनोखी विधा है। इसमें गेंद को अंगूठे और बीच की अंगुली से कैरम के स्ट्राइकर की स्टाइल में पकड़ा जाता है। इस तरह की गेंदबाजी में स्पिन के लिए गेंद को बीच की मुड़ी हुई अंगुली से फ्लिक कर छोड़ा जाता है। इस तरह की गेंदबाजी सबसे पहले 1940 के दशक में देखने को मिली थी। बाद में 2008 में इसे श्रीलंका के रहस्यमयी स्पिनर अजंता मेंडिस ने फिर से प्रचलित किया। सुनील नरेन भी कैरम बॉल के माहिर माने जाते हैं।
कैरम बॉलिंग की ग्रिप (साभार- विकीपीडिया)
भारत में कही जाती है सोडुकू बॉल
कैरम बॉल को भारत के कुछ हिस्सों में सोडुकू बॉल के नाम से भी जाना जाता है। इसकी वजह हैं रविचंद्रन अश्विन। मेंडिस और नरेन के अलावा विश्व क्रिकेट में इस समय अश्विन ही ऐसे गेंदबाज हैं जो कैरम बॉल का इस्तेमाल करते हैं। अश्विन अपनी इस गेंद को सोडुकू बॉल कहते हैं। सोडुकू तमिल भाषा का शब्द है और इसका मतलब होता है, अंगुलियों को चटकाना या तोड़ना (स्नैपिंग)। कैरम बॉल करते समय अंगूठे और बीच की अंगुली से गेंद को स्नैप किया जाता है।
कैसे होती है यह गेंदबाजी
अगर आप कैरम बॉलिंग सीखना चाहते हैं तो आपको इसके लिए कड़े अभ्यास की जरूरत पड़ेगी। कैरम बॉल करने के लिए अंगूठे, तर्जनी (फोरफिंगर या दूसरे नंबर की अंगुली) और मध्यमा (मिडल फिंगर या बीच की अंगुली) से गेंद पर ग्रिप बनानी होती है। इसमें गेंद को दबाकर और फ्लिक करके रिलीज किया जाता है और बीच की अंगुली का रोल कैरम के स्ट्राइकर को पुश करने जैसा होता है। यह गेंदबाजी रिस्ट बॉलिंग से अलग होती है। पारंपरिक लेग स्पिन दाईं कलाई को एंटी-क्लॉक वाइज घुमाकर की जाती है और पारंपरिक ऑफ स्पिन अंगुलियों को क्लॉकवाइज घुमाकर। कैरम स्पिन को तीसरे तरह की स्पिन गेंदबाजी भी कहा जा सकता है।
अंगुलियों के कमाल से घूमती है गेंद
कैरम बॉल में अगर बीच की अंगुली को लेग साइड की ओर रखा जाता है तो गेंद लेग से ऑफ की ओर जाती है और जब बीच की अंगुली को ऑफ साइड की ओर रखा जाता है तो गेंद ऑफ से लेग की ओर जाती है। कैरम बॉल की ग्रिप लेग साइड की ओर है तो यह गिरने के बाद सीधी भी निकल सकती है। इसलिए कैरम बॉल लेग स्पिन, ऑफ स्पिन या सीधी (गुगली या दूसरा की तरह) भी निकल सकती है। उम्मीद है कि नरेन, मेंडिस और अश्विन की तरह करियप्पा भी जल्द ही वैश्विक स्तर पर अपनी गेंदबाजी का जलवा दिखाएंगे।
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