पाकिस्तान के इस कोच की कहानी बताती है कि 'कभी भी, कुछ भी मुमकिन है'
ये है उतार-चढ़ाव भरी इस कोच की दास्तां..
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। क्रिकेट टीम को एकजुट रखने, खिलाड़ियों का हुनर तराशने और जीत की रणनीति तय करने जैसी अहम चीजें एक अच्छे कोच की पहचान होती हैं। एक ऐसा ही क्रिकेट कोच पाकिस्तान को भी मिला है जिसने चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के उनके अधूरे सपने का पूरा कर दिया। ये है उतार-चढ़ाव भरी इस कोच की दास्तां..
- नहीं समझ पाया दक्षिण अफ्रीका, दिया इस्तीफा
दक्षिण अफ्रीका में जन्म लेने वाले मिकी आर्थर को कभी अपनी राष्ट्रीय टीम से खेलने का मौका नहीं मिला। उन्होंने 110 प्रथम श्रेणी मैचों में 6657 रन बनाए लेकिन कभी दक्षिण अफ्रीकी जर्सी नहीं पहन पाए। फिर उन्होंने कोचिंग की तरफ रुख किया और मई 2005 में उन्हें अचानक दक्षिण अफ्रीकी टीम का कोच बना दिया गया। उनके कोचिंग कार्यकाल में दक्षिण अफ्रीका पांच बार बड़े टूर्नामेंट के सेमीफाइनल तक पहुंचा लेकिन फाइनल तक का सफर तय नहीं कर सका। 2007 विश्व कप भी इसमें शामिल रहा.. लेकिन अगले दो सालों में आर्थर ने दक्षिण अफ्रीकी टीम को टेस्ट में उसके सबसे यादगार दिनों से रूबरू कराया। दक्षिण अफ्रीका उस दौरान लगातार 9 टेस्ट सीरीज में अपराजित रही। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज भी जीती और वनडे सीरीज पर भी कब्जा किया। हालांकि क्रिकेट साउथ अफ्रीका (सीएसए) उन्हें समझ नहीं सका और उनसे हुए मतभेद के कारण आर्थर को इस्तीफा देना पड़ा।
- ऑस्ट्रेलिया ने दिया धोखा, बर्खास्त किया
इसके बाद आर्थर ने ऑस्ट्रेलिया के रुख किया और वहां वो वेस्टर्न वॉरियर्स टीम को कोचिंग देने लगे। कुछ ही समय में वो ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के मुख्य कोच बन गए। इस दौरान उनकी कोचिंग में ऑस्ट्रेलिया ने 19 में से 10 टेस्ट मैच जीते। इसके अलावा भी उनके कोच रहते कंगारू टीम ने कई सफलताएं हासिल की लेकिन एक भारत का खराब दौरा और उसके ठीक बाद 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया का ग्रुप स्टेज से बाहर होना विवाद बन गया। इस दौरान इंग्लैंड में चैंपियंस ट्रॉफी के बीच लंदन के एक पब में डेविड वॉर्नर द्वारा इंग्लैंड के खिलाड़ी जोइ रूट को मुक्का जड़ने ने भी आग में घी का काम किया। मिकी आर्थर ने कुछ ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों पर सवाल उठाए कि वो उस रात इतनी देर रात तक बाहर क्या कर रहे थे..फिर क्या था, क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया हरकत में आई लेकिन सबको चौंकाते हुए खिलाड़ियों पर एक्शन लेने के बजाय आर्थर को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया, वो भी उनका कॉन्ट्रेक्ट खत्म होने से दो साल पहले। काफी बयानबाजी चली, विवाद बढ़ा लेकिन आर्थर दोबारा ऑस्ट्रेलिया नहीं लौट सके।
- 2016 में लिया बड़ा कदम और फिर.....
2016 में मिकी आर्थर ने एक बड़ा कदम उठाया और वो पाकिस्तान सुपर लीग की टीम कराची किंग्स के कोच बन गए। देखते-देखते मई तक उन्हें राष्ट्रीय टीम का कोच भी बना दिया गया। अभी कोच बने तकरीबन एक साल ही पूरा हुआ था कि पाकिस्तान की टीम ने आइसीसी टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर इतिहास में पहली बार कब्जा जमा लिया। पाकिस्तान में सबकी उम्मीदें सातवें आसमान पर जा पहुंची। पाकिस्तानी टीम ने किसी तरह चैंपियंस ट्रॉफी के लिए क्वालीफाइ किया, भारत के खिलाफ पहला मुकाबला भी गंवा दिया लेकिन अंत होते-होते सब बदल गया और इसी भारतीय टीम को फाइनल में मात देकर उन्होंने खिताब जीता। आज जहां दुनिया इस टीम की सफलता पर ताली ठोक रही है वहीं, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया भी मंथन कर रहे होंगे कि क्या आर्थर को जाने देने का फैसला सही था? ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका इस बार सेमीफाइनल से पहले ही बाहर हो गए थे।
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