क्रिकेट से नेता हों बाहर, चयनकर्ता बदलें रवैयाः सुनील देव
क्रिकेट समेत दूसरे खेलों के संगठनों से नेता बाहर हों और चयनकर्ता रवैया बदलें जूनियर क्रिकेट से ही प्रशिक्षण व तकनीक पर फोकस रखने से बेहतर खिलाड़ी सामने आएंगे। खेलों में रुपया हावी है, विदेशी प्रशिक्षकों की वजह से देश का परचम फहराने वाले दरकिनार हो रहे हैं। यह गुगली
जागरण संवाददाता, कानपुर। क्रिकेट समेत दूसरे खेलों के संगठनों से नेता बाहर हों और चयनकर्ता रवैया बदलें जूनियर क्रिकेट से ही प्रशिक्षण व तकनीक पर फोकस रखने से बेहतर खिलाड़ी सामने आएंगे। खेलों में रुपया हावी है, विदेशी प्रशिक्षकों की वजह से देश का परचम फहराने वाले दरकिनार हो रहे हैं। यह गुगली है, दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव व 2007 टी-20 वर्ल्ड कप टीम के मैनेजर रहे सुनील देव की।
सोमवार को एक स्पोर्ट्स एकेडमी का उद्घाटन करने आए सुनील देव ने कहा कि नेतागीरी ने क्रिकेट संघों को चौपट कर दिया है। इनमें खिलाड़ी आएं। देश में सुनील गावस्कर, अनिल कुंबले, सचिन तेंदुलकर जैसे नायाब खिलाडि़यों के बावजूद विदेशी प्रशिक्षकों के भरोसे क्रिकेट चल रहा है। जूनियर स्तर पर क्रिकेट चौपट हो चुका है। संगठित क्रिकेट के साथ प्रशिक्षण व तकनीक बेहद जरूरी हैं। चयनकर्ता अपने-अपने प्रदेशों को देखने के बजाय ढर्रा बदलें और बेहतर को आगे लाएं।
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कुछ लोगों पर रुपया हावी होने से खेलों की दशा बिगड़ रही है। राष्ट्रीय अकादमी में हुए चयन इसकी नजीर हैं। तल्ख तेवरों में देव ने टीम चयन में भेदभाव पर भी जमकर भड़ास निकाली। पूर्व राष्ट्रीय टेस्ट खिलाड़ी ज्ञानेंद्र पांडेय व नेशनल स्पोर्ट्स कल्चर वेलफेयर फाउंडेशन के महामंत्री बलजीत सिंह जोबन ने कहा कि उत्तर प्रदेश प्रतिभाओं की खान है। यहां जरूरत है थोड़ी सी कोशिशों की।