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जानिए क्या थी कुलदीप यादव की हैट्रिक बॉल, दिखाते चालाकी तो बन जाते 'बुद्धू'

कुलदीप ने किया खुलासा, कैसे लिया हैट्रिक का तीसरा विकेट...

By Bharat SinghEdited By: Published: Sat, 23 Sep 2017 11:06 AM (IST)Updated: Sat, 23 Sep 2017 04:06 PM (IST)
जानिए क्या थी कुलदीप यादव की हैट्रिक बॉल, दिखाते चालाकी तो बन जाते 'बुद्धू'
जानिए क्या थी कुलदीप यादव की हैट्रिक बॉल, दिखाते चालाकी तो बन जाते 'बुद्धू'

कोलकाता, पीटीआइ। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ईडन गार्डेंस में खेले गए दूसरे वनडे मैच में भारत के चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव ने हैट्रिक लेने का कारनामा किया। हैट्रिक लेने के बाद उन्होंने अपने खास हथियार का खुलासा किया और बताया कि उन्हें हैट्रिक लेने में सफलता कैसे मिली। कुलदीप ने कहा कि अगर उन्होंने बाएं हाथ के चाइनामैन स्पिनर की तरह पारंपरिक गेंद फेंकी होती, तो उन्हें हैट्रिक नहीं मिलीती। 

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आपको बता दें कि कुलदीप ने मैथ्यू वेड, एशटन एगर और पैट कमिंस के विकेट चटकाकर अपनी हैट्रिक ली थी। वह चेतन शर्मा और कपिल देव के बाद वनडे में हैट्रिक लेने वाले तीसरे भारतीय गेंदबाज बने। कुलदीप के इस कारनामे को पूर्व भारतीय खिलाड़ियों ने काफी सराहा है। 

इस हैट्रिक में कुलदीप के तीसरे शिकार कमिंस थे। कुलदीप की गेंद कमिंस के बल्ले का बाहरी किनारा लेकर विकेटकीपर महेन्द्र सिंह धौनी के दस्तानों में गई थी। कुलदीप ने बीसीसीआइ टीवी द्वारा मैच के बाद लिए गए साक्षात्कार में बताया, 'हैट्रिक गेंद के लिए मुझे लगा कि अगर गेंद घूमेगी तो मुझे विकेट नहीं मिलेगा। इसलिये मैंने रोंग उन फेंकने की सोची और इसमें सफल रहा।'

आपको बता दें कि दाएं हाथ के लेग स्पिनर की उल्टी दिशा में घूमने वाली गेंद को गुगली कहा जाता है। रोन्ग उन भी इसी तरह की गेंद होती है। इसका यह नाम ऑस्ट्रेलिया में प्रचलित है। कुलदीप ने कहा कि शुरुआत में उनको गेंद को पकड़ने में परेशानी हो रही थी। इसलिए उन्होंने शुरू में पहले स्पैल में कुछ रन गंवा दिए, लेकिन जैसे ही उन्होंने छोर बदला इसके साथ ही चीजें बदल गईं। कुलदीप ने कहा, 'यह मेरे लिए सचमुच बहुत खास है क्योंकि मेरी शुरुआत अच्छी नहीं थी, मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि मुझे हैट्रिक मिलेगी।लेकिन फिर भी मैं ऐसा करने में सफल रहा।'

उन्होंने कहा, 'गेंद गीली थी और ग्रिप अच्छी नहीं थी। लेकिन जब छोर बदला, तो मैं कम से कम एक विकेट लेना चाहता था ताकि ऑस्ट्रेलिया को दवाब में लाया जा सके। मैं अपनी विविधता का इस्तेमाल कर गेंद को सही जगह डालने की कोशिश कर रहा था।' कुलदीप ने बताया कि आइपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ तीन सत्र में खेलना उनके लिए काफी फायदेमंद रहा क्योंकि इससे उन्हें पिच के बारे में जानने में मदद मिली।

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