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भारत के सबसे अहम गेंदबाज ने कुछ साल पहले तक देखी भी नहीं थी लेदर बॉल

उमेश यादव ने जब 20 साल की उम्र में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया था तब उन्हें इस बारे में कुछ भी अंदाजा नहीं था कि टेस्ट क्रिकेट में उपयोग होने वाली लाल एसजी गेंद से क्या करते हैं।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Thu, 10 Aug 2017 09:37 PM (IST)Updated: Fri, 11 Aug 2017 01:09 PM (IST)
भारत के सबसे अहम गेंदबाज ने कुछ साल पहले तक देखी भी नहीं थी लेदर बॉल
भारत के सबसे अहम गेंदबाज ने कुछ साल पहले तक देखी भी नहीं थी लेदर बॉल

कैंडी, पीटीआइ। उमेश यादव ने जब 20 साल की उम्र में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया था तब उन्हें इस बारे में कुछ भी अंदाजा नहीं था कि टेस्ट क्रिकेट में उपयोग होने वाली लाल एसजी गेंद से क्या करते हैं। लेकिन भारत के इस प्रमुख तेज गेंदबाज ने कहा कि वह हमेशा यह जानते थे कि उनकी तेज गेंदबाजी करने की योग्यता जरूर उन्हें ऊंचे स्तर पर ले जाएगी। 

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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने पदार्पण के सात साल बाद भारत के इस प्रमुख तेज गेंदबाज ने 33 टेस्ट और 70 वनडे खेले हैं। वह महसूस करते हैं कि आखिरकार वह अपनी पूरी क्षमता से गेंदबाजी कर रहे हैं। अपने करियर में 92 टेस्ट और 98 वनडे विकेट लेने वाले उमेश ने कहा, 'आप बचपन से क्रिकेट खेल रहे हों तो आपको खेल के बारे में काफी बातें पता चल जाती हैं। लेकिन, यदि आपको अचानक कुछ अलग करने को कहा जाए तो आपको मुश्किल हो सकती है। मैंने टेनिस और रबर की गेंद के साथ खेलना शुरू किया था और जब तक मैं 20 साल का नहीं हो गया तब तक मैंने आमतौर पर क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली गेंद नहीं पकड़ी थी। एक तेज गेंदबाज के लिए यह काफी देर से हुआ था। इसलिए जब ऐसा हुआ तो मुझे नहीं पता था कि इस गेंद से मैं क्या करूं'

समझने में लगे दो साल

इस गेंद के साथ गेंदबाजी करने के बारे में समझने के लिए उन्हें दो साल लग गए। उन्होंने कहा, 'मैं नहीं जानता था कि गेंद को कहां पिच करूं। पहले दो वर्षों में मैं यह नहीं समझ पाया कि कब गेंद बाहर जाएगी और कब यह अंदर या फिर सीधी जाएगी। तब मेरे कोचों ने मेरी मदद की। उन्होंने मुझे बताया कि यदि आपको गेंद पर नियंत्रण करने में मुश्किल हो रही है तो यह बिल्कुल सामान्य बात है। अभी सिर्फ अपनी लेंथ पर ध्यान दो। इसके बाद मैंने अपने एक्शन पर काम करना शुरू किया और मुझे पता चला कि एक्शन में बायें हाथ की भूमिका अहम होती है। इसके बाद से उमेश यादव हमेशा के लिए बदल गया।'  नागपुर में जन्मे उमेश ने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा, 'मैं शुरू से ही जानता था कि मेरी रफ्तार मेरी मदद करेगी और मेरी पहचान बनेगी।

सर्वश्रेष्ठ करने के लिए प्रतिबद्ध

पिछले 12 महीने के अपने प्रदर्शन से उमेश ने उन आलोचकों को चुप कर दिया है जो उनकी लाइन और लेंथ को लेकर आलोचनाएं करते रहे थे। इतनी आलोचनाओं के बावजूद इस 29 वर्षीय गेंदबाज ने अपनी रफ्तार से समझौता नहीं किया और अपना सर्वश्रेष्ठ करने के लिए प्रतिबद्ध रहे। उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा ही तेज गेंदबाजी करना चाहता था। जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मैंने तेज गेंदबाजी के बारे में काफी चीजें सीखीं। मैं जिस जगह से आता हूं, वह तेज गेंदबाजों को पैदा करने के लिए मशहूर नहीं है। मैं जानता था कि ऐसे कई गेंदबाज थे जो 130-135 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करते थे। मैं जानता था कि अगर आप हर गेंद 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से करेंगे तभी आप कुछ अलग हो सकते हैं और आपको मौका मिल सकता है।


सीखीं काफी चीजें

उमेश ने मई 2010 में जिंबाब्वे के खिलाफ वनडे से भारतीय टीम में करियर शुरू किया। उन्होंने कहा, 'जब मैं शुरू में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने आया तो रफ्तार बनाए रखना आसान था, लेकिन जैसे-जैसे मैंने खेलना जारी रखा तो मैंने फिटनेस बनाए रखने के लिए काफी चीजें सीखीं और यह भी कि मैच के बाद कैसे उबरा जाए। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आप बतौर तेज गेंदबाज नहीं बने रह सकते।


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