12वां खिलाड़ी होते हुए भी कभी असुरक्षित महसूस नहीं किया : अजिंक्य
रहाणे ने कहा कि जब कोई भारत की जर्सी पहनता है तो उसे अपनी असुरक्षा और अहं को दूर रखना पड़ता है।
नई दिल्ली। मार्च में भारत का टेस्ट कप्तान होना और जून में 12वें खिलाड़ी की भूमिका निभाना कभी आसान नहीं होता लेकिन अजिंक्य रहाणे टीम को समर्पित खिलाड़ी हैं जिनका मानना है कि जब कोई भारत की जर्सी पहनता है तो उसे अपनी असुरक्षा और अहं को दूर रखना पड़ता है।
धर्मशाला में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट में अजिंक्य भारत के कप्तान थे और भारत ने यह टेस्ट जीतकर टेस्ट सीरीज अपने नाम की थी। चैंपियंस ट्राफी में हालांकि उन्हें एक भी मैच खेलने को नहीं मिला और उन्हें 12वें खिलाड़ी की भूमिका निभानी पड़ी। अजिंक्य ने कहा- अगर मैं टेस्ट टीम में उपकप्तान हूं तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं वनडे में 12वें खिलाड़ी की भूमिका नहीं निभाऊंगा। जब आप अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं तो आपको वहीं करना होता है जो काम आपको सौंपा जाता है। जब मैं चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान ड्रिंक्स लेकर जा रहा था तो मुझे अहं से जुड़ी कोई समस्या नहीं थी। मैं ऐसा की व्यक्ति हूं।
अजिंक्य ने कहा- वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज मेरे लिए विशेष थी, जो मैंने निरंतरता दिखाई उसके कारण यह सीरीज मेरे लिए वनडे करियर के लिए महत्वपूर्ण थी और लगभग सभी मैचों में रन बनाना संतोषजनक अहसास है। मुझे अपनी बल्लेबाजी के विभिन्न पक्षों को दिकाने का मौका मिला। खेल के तकनीकी पहलुओं में बदलाव से अधिक जरूरी मानसिक तौर पर बदलाव करना है। वेस्टइंडीज में खेली गई पारियां विशेष थी क्योंकि वहां की पिच बल्लेबाजी के लिए पूरी तरह से अनुकूल नहीं थी और पोर्ट ऑफ स्पेन व एंटीगुआ की पिचों पर काफी परेशानी हो रही थी।